धर्म कर्म: सतयुग को इस धरा पर ही ले आने में दिन-रात लगने और अपने भक्तों को भी लगा कर पूरी मानवता पर उपकार करने वाले, इस समय के महापुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने अमरावती, (महाराष्ट्र) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि यदि सभी मांसाहारी व्यक्ति, शाकाहारी हो जाएं तो किसी जानवर की हत्या नहीं होगी। जीव हत्या को रोकने, लोगों में प्रचार करने की जरूरत है, लोगों को हाथ जोड़कर के मना लेना है- हाथ जोड़कर विनय हमारी, तजो नशा बनो शाकाहारी। छोड़ो व्यभिचार बनो ब्रह्मचारी, सतयुग लाने की करो तैयारी।। क्योंकि सतयुग आने वाला है। सतयुग में तो कोई मांसाहारी रहेगा नहीं। कश्मीर से कन्याकुमारी तक मांस, शराब, अंडा, मछली की दुकान नहीं रहेगी। सतयुग का प्रादुर्भाव जब पूरी दुनिया में होगा तो मांस खाना या तो लोग छोड़ेंगे और या तो मांसाहारी इस धरती से उठा लिया जायेगे, अकाल मृत्यु में चले जाएंगे जैसे आजकल लोग मर रहे हैं। बम गिर रहा है, जिसके ऊपर गिर गया वह तो आधी जिंदगी में चल गया। बच्चा पैदा ही हुआ था, जवान होता, बुड्ढा होता लेकिन बम गिर गया, उसमें चला गया। धरती धंस गई, आंधी-तूफान आ गया तो उसमें लोग चले जा रहे हैं, तो चले जाएंगे। यह सब जो बीमारी तकलीफ है, आती है यह एक ट्रेलर है। यह बताती, इशारा करती है की होशियार हो जाओ। यह जो आफत दूसरे के ऊपर आ रही है, यह तुम्हारे ऊपर भी आएगी।

कैसे भी हो लोगों की जान बचाओ

प्रेमियों! आप यह समझो, सतयुग देखने के लायक, काबिल लोगों को बनाना है। ब्रह्म में विचरण करने वाले को ब्रह्मचारी कहते हैं, वो लोगों को बनाना है। अब आप अपने हिसाब से प्रचार करो, क्यों? क्योंकि सब लोग तो ऐसे कर नहीं सकते हो। तो अपने-अपने हिसाब से करो। कुछ लोग ऐसे हो जो आप सामूहिक रूप से योजना बना करके प्रचार कर सकते हो, तो योजना बना करके करो। रैली-यात्रा निकाल कर, पर्चा बाँट कर, पोस्टर लगा करके करो, घर-घर लोगों को बैठकर के समझाओ। यदि आप व्यापारी हो, आपके दुकान पर ग्राहक आते हैं तो वहीं समझाते रहो। दफ्तर में काम करते हो, वहां भी लोग आते हैं, उनको समझते रहो। बच्चों-बच्चियों स्कूल में पढ़ते हो, वहीं अपने बच्चे बच्चियों को, दोस्तों को, सहेलियों को समझाते रहो, अपने-अपने हिसाब से लोगों को समझाओ।

जल पृथ्वी अग्नि वायु आकाश देवता सजा देने के लिए तैयार खड़े हैं

मानव मंदिर को गंदा न करो। यह मानव शरीर रूपी मंदिर है, देवनारायणी शरीर इसे कहा गया। देवता इसको पाने के लिए तरसते रहते हैं। देखो मंदिर मस्जिद गिरजाघर गुरुद्वारा बनाते हो, उसमें अगर कोई मुर्दा मांस ले जाकर के डाल दे तो फिर वहां कोई पूजा नमाज प्रेयर नमाज नहीं पढ़ेगा, कहेगा यह जगह गंदी है। अभी लोग सुकून शांति सुख पाने के लिए कितना पूजा-पाठ, यज्ञ जप-तप अनुष्ठान कर रहे लेकिन क्या वह चीज मिल पा रही है? यह देवता कहीं खुश हो रहे हैं? नहीं। यह सब नाराज खड़े हैं, चाहे पवन, धरती, आकाश देवता हो। क्यों? क्योंकि मांसाहार नशा करने की वजह से धरती पर खून बह रहा है। धरती पर हड्डियां और मांस सड़ रहे हैं। हवा दूषित हो रही है। इन चीजों से पवन देवता भी नाराज है। आप समझो, यही हवा ऊपर जाती है। आकाश में देवता भी नाराज हो रहे हैं। तो समझो देश खुशहाल कैसे होगा? लोगों में खुशी कैसे आएगी? कैसे अन्न की पैदावार सतयुग जैसी होने लग जाएगी? जैसे पहले समुन्द्र हीरे, मोती, सीप, शंख, मणि, जवाहरात किनारे पर ला करके डालता था, वो अब कैसे डालेगा? मणि और मोती की प्रचुरता कैसे होगी?

प्रेमियों! जीवों को बचाओ और लोगों को अकाल मृत्यु से बचाओ

इनको खुश करना पड़ेगा। तो बराबर आप लोग जीवों को बचाओ, जिनको लोग मार कर खा जाते हैं, हिंसा-हत्या करके खाते है, उनको बचाओ। लोगों को अकाल मृत्यु से बचाओ। लोगों को इन देवताओं के प्रकोप से बचाओ, लोग अच्छे बन जाए तो सेवा करोगे, उससे आपके कर्म कटेंगे।

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