धर्म कर्म: पूरे समर्थ सन्त सतगुरु,दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने जयपुर (राजस्थान) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि- अब कुछ होने वाला है, वक्त बदलने वाला है। डम डम डम डम महादेव का, डमरू बजने वाला है।। शिवरात्रि के कार्यक्रम में सुनने को मिलेगा, लोगों को सुनाया जाएगा। शिव ही रक्षक – शिव ही भक्षक हैं। किसके रक्षक? और किसके भक्षक हैं? यह शिवरात्रि में मालूम हो जाएगा। उसी दिन मासिक भंडारा भी पड़ रहा है। कृष्ण पक्ष त्रयोदशी को मासिक भंडारा आप लोग करते हो। तो यह भी लखनऊ में होगा। आप लोग भी लगोगे तो जल्दी काम हो जाएगा। मैं तो 75 साल की उम्र में मेहनत कर ही रहा हूं।

7 व 8 मार्च को लखनऊ में जयगुरुदेव बाबा का सतसंग व नामदान कार्यक्रम

संहारकर्ता शिव के तांडव से बचने के लिए, जो हर मनुष्य के अंदर शिव नेत्र है, उसको खोलकर शिवजी को मनाने, रक्षक बनाने हेतु शिवरात्रि पर सतसंग कार्यक्रम 7 मार्च सायं 3 बजे से, 8 मार्च प्रात: 10 बजे से सतसंग स्थल लोनी नदी तट, निकट सैनिक ढाबा, रहमतनगर, सुल्तानपुर रोड, लखनऊ (उ.प्र.) में आयोजित किया गया है। आज घर-घर में बीमारी, परेशानी, मानसिक टेंशन, काम-धंधे में बरकत की कमी और परिवारों में आपसी खींचतान से लोग परेशान हैं। शिवनेत्र न खुलने के कारण देवी-देवताओं का आशीर्वाद नहीं मिल रहा है। जीवन की सभी समस्याओं का समाधान तथा इस देव दुर्लभ मनुष्य शरीर में बैठी हुई जीवात्मा को मुक्ति मोक्ष पाने का तरीका परम् पूज्य बाबाजी सबको बिना किसी भेदभाव के बताते हैं। कहा गया है- सन्त दरस को जाइए तजि ममता अभिमान। ज्यों-ज्यों पग आगे परै कोटिन यज्ञ समान ।। तीरथ गए एक फल, सन्त मिले फल चार। सतगुरु मिले अनेक फल, कहत कबीर विचार ।। आपको विदित हो कि जीते जी इसी मनुष्य शरीर में प्रभु के दर्शन करने का उपाय यानी पांच नाम का नामदान देने के लिए परम् पूज्य बाबा उमाकान्त जी महाराज पधार रहे हैं। इसलिए जीवन के बचे हुए समय में से थोड़ा समय अपनी जीवात्मा के कल्याण के लिए, उसे नर्को और चौरासी में जाने से बचाने के लिए जरूर निकालें। आप सपरिवार, ईष्ट, मित्रों सहित आइये, दर्शन दीजिए, भौतिक और आध्यात्मिक तरक्की के लिए सतसंग सुनिए, प्रभु प्राप्ति का सरलतम मार्ग नामदान लीजिए और अपना जीवन सफल बनाइए। ज्ञातव्य है कि ये वही दुःख हर्ता परम् सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज हैं जिनके दर्शन करने, सतसंग सुनने, अपनी बात कह देने और उनके बताए रास्ते पर चलने से दुःख-तकलीफों में आराम मिलने लगता है।

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