धर्म कर्म : पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने बताया कि महापुरुष इस धरती पर जिस काम के लिए आते हैं, अपना काम पूरा करके चले जाते हैं। उनकी केवल एक याद रह जाती है। जैसे राम आज राम के भक्त, राम को याद कर रहे हैं। लेकिन जो उनके उपदेश हैं, उसको याद नहीं कर पाते। आज इसको याद करने की जरूरत है कि उनके राज्य में कैसा था, किस तरह से उन्होंने प्रजा के साथ व्यवहार किया, प्रकृति भगवान से सुख-सुविधा, बरकत दिलाए, खान-पान सही रखा, चरित्रवान, सही नीयत वाला बनाया।
जिस काम के लिए मनुष्य शरीर मिला, वह काम नहीं हो पा रहा:–
इसके साथ ही साथ उन्होंने जो आध्यात्मिक उपदेश दिया, उस पर विशेष जोर देने की जरूरत है। क्योंकि अगर वह चीज समझ नहीं पाए तो यह जीवन जो कुछ समय के लिए जीने के लिए मिला है, यह खत्म हो जाएगा। दिन-रात उमर को खत्म करते चले जा रहे हैं। जिस काम के लिए यह मनुष्य शरीर मिला है, वह काम नहीं हो पा रहा। बहुत से लोगों को यही नहीं मालूम है कि यह मनुष्य शरीर किस लिए मिला। जो लोग आप सतसंग सुनते रहते हो, आपको मालूम है कि भगवान के भजन करने के लिए मिला है। गोस्वामी जी ने लिखा है, इसी घट में जो राम का चरित्र चौबीसों घंटा हो रहा है, उसको देखने का जो मौका मिला है, यह अवसर निकल जाएगा। यह समय किसमें चला जा रहा है? शरीर के सुख के लिए। शरीर के सुख से जीवात्मा को उद्धार, कल्याण नहीं होगा। जीवात्मा के लिए भी कुछ करना पड़ेगा। आप जो नये लोग आये हो, उनको नामदान दिया जायेगा।
करोड़ों जन्मों में भटकते के बाद मनुष्य शरीर मिला:–
समझो, यह मनुष्य शरीर करोड़ों जन्मों में भटकने के बाद मिला है। इससे बहुत कुछ किया जा सकता है। इसमें बहुत सारे गुण हैं। लेकिन उस चीज को न समझ करके और खाने-पीने, सोने में ही समय को बर्बाद कर दे रहे हैं। महात्मा महापुरुष इस धरती पर आए, दृष्टांत, किस्सा-कहानी, गद्द-पद्द में लोगों को समझाया कि किसी भी तरह से जीव के समझ में आ जाए और थोड़ा समय निकाल करके दुनिया में अपना असला काम बना ले, अपना आत्म कल्याण कर ले।