धर्म कर्म: वक़्त के पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि बरकत पाने के लिए मेहनत ईमानदारी का काम करना, इस मानव शरीर को गंदा मत करना, शराब और शराब जैसे तेज नशे का सेवन मत करना। ऋषि मुनियों, सन्त महात्माओं के पदार्पण वाले भारत देश का यह दुर्भाग्य है कि जहां के नौजवान नवयुतियां शराब पिए, शराब के नशे में धुत रहे, चरित्र हीनता बढ़ती चली जाए, जो आदमी को खत्म करता, अस्तित्व को मिटाता है, वह चीज बढ़ता चला जाए।
शराब, कबाब, शबाब का प्रचलन इसी तरह से बढ़ता रहा तो भारत धर्मगुरु केसे बनेगा
शराब, कबाब और शबाब का प्रचलन बढ़ता चला गया तो वह देश कैसे तरक्की कर सकता है? सोचो आप, कैसे धार्मिक देश कहा जा सकेगा? हम-आप तो कहते हैं कि हम भारत देश को धर्मगुरु, आध्यात्मिक गुरु बना देंगे लेकिन यह (नशा) चीज जब तक खत्म नहीं होगी तब तक नहीं बन सकता है, सतयुग का प्रदार्पण इस धरती पर नहीं हो सकता। इसलिए छोड़ो व्यभिचार, बनो ब्रह्मचारी, सतयुग लाने की करो तैयारी। हाथ जोड़कर विनय हमारी, तजो नशा बनो शाकाहारी। ब्रह्मचारी का मतलब यह नहीं होता कि बच्चा मत पैदा करो, एक नारी ब्रह्मचारी और एक आहारी सदा व्रतधारी। बुड्ढे कहते हैं कि एक रोटी का भूख रख कर के खाना चाहिए। कम खाओ, गम खाओ, बर्दाश्त करो तो लड़ाई-झगड़ा से बचे रहोगे। ये उपदेश करते हैं या नहीं? यह भारत देश की संस्कृति, परंपरा रही है कि बुड्ढे अनुभवी लोग, लोगों को समझावे बतावे क्योंकि दुनिया को जो ज्ञान हो रहा है, ये भारत का ही दिया ज्ञान है। जब जीरो दिया मेरे भारत ने, तब दुनिया को गिनती आई। लेकिन अब वही ज्ञान, बुद्धि खराब होती जा रही। शराब के नशे में होश रहता है आदमी? न शरीर न घर का न धन का न बच्चों का और न ही देश को बचा सकता है।
एक हजार बुराई वाली शराब यदि गंगाजल में भी बनाई जाए तब भी नहीं पीना चाहिए
मुसलमान की किताबों में लिखा है, शराब का एक कतरा यदि जिस्म पर पड़ जाए तो उस हिस्से को काट करके फेंक देना चाहिए। हिंदुओं के यहां लिखा है- गंगाजल कृत बारहु जाना, तदपि सन्त करें नहीं पाना। गंगाजल में भी शराब बनाई जाए तो नहीं पीना चाहिए। एक हजार बुराई वाली चीज शराब जो पीता, मांस खाता,व्यभिचार करता, खून-कत्ल करता, बाल-बच्चों को मारता, जमीन-जायदाद बेचता, वादा खिलाफी करता, क्या-क्या काम नहीं करता है। इन चीजों को क्यों अपनाते हो जो हमेशा दु:खदाई रहे हैं? खुद भी (नशा) छोड़ो और दूसरों को भी छुड़वाओ। दूसरों के भी मानव मंदिर को पूजा उपासना करने लायक बनाओ, इन गंदी चीजों को आप छुड़वाओ, यह सब काम आप करो।