धर्म-कर्म: निजधामवासी बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने बताया कि प्रेमियो! अंतर्मुख होने की जरूरत है। नहीं तो यह जीवन ऐसे निकल जाएगा जैसे देखते ही देखते बारिश की बूंदों के बुलबुले ख़त्म, सुबह तारे छिप जाते, ओला गल कर पानी बन जाता है। ऐसे ही इस शरीर को रोज कांच में देखो, रोज मालिश करो, रोज खिलाओ लेकिन देखते ही देखते खत्म हो जाएगा। कोई चाहता है कि मैं बुड्ढा हो जाऊं? कुछ बुड्ढों को अगर दादाजी बाबाजी कह दो तो नाराज हो जाते हैं कि अभी तो हम जवान हैं, हमें भाई साहब कहो। मन कभी बुढ्ढा नहीं होता है। लेकिन बुढ़ापा आता ही आता है और आकर फिर कभी भी नहीं जाता है। फिर तो शरीर को मिट्टी बनाकर के, श्मशान घाट पर ले जाकर ही बुढ़ापा खत्म होता है। बुढ़ापे को तो आना ही आना है। इसलिए समय रहते चेतो।

दीपावली का काजल गुणकारी होता है:- 

काजल जानते हो आप सब लोग। कभी भी आप काजल को बना सकते हो। लेकिन ज्यादातर मातायें दीपावली के दिन काजल बनती है। उस समय गर्मी-ठंडी का मौसम रहता है। उसकी हवा के असर से काजल में गुण पैदा होते, उसमें शक्ति आती है जो आंखों की सफाई करे, आंखों की नसों को ताकत दे. मजबूती लावे। इसलिए उस समय पर बनाया जाता है।

पेड़ पौधे जानवर पत्थर भगवान नहीं हो सकते:-

आज कल लोग दुखी ज्यादा क्यों हैं? क्योंकि वह मालिक को भूल गए और मालिक का दर्शन होना बंद हो गया। कोई आदमी को, कोई पेड़ पौधे, जानवर को भगवान मान लिया। लेकिन वह भगवान नहीं हो सकते हैं। आदमी भगवान का रूप हो सकता है, भगवान की ताकत पा सकता है लेकिन वह नहीं हो सकते, पेड़-पौधा, पत्थर नहीं हो सकते हैं। कहने का मतलब यह है कि भगवान की प्राप्ति तभी हो सकती है जब उसके वक़्त के जगाये हुए नाम से उसको पुकारते हैं और उस नाम से वह दिखाई पड़ता है क्योंकि उसी नाम से डोर जुड़ी हुई होती है।

बाबा जयगुरुदेव जी महाराज धरती के पूर्ण सन्त थे:-

शास्त्र के अनुसार यह कलयुग, सतयुग में कुछ समय के लिए राज करने गया था और उस सतयुग को (इसी प्रकार) आना है। तो इसकी जानकारी धरती के सन्त महात्मा को रहती है। तो गुरु महाराज बाबा जयगुरुदेव जी इस धरती के पूर्ण सन्त थे। वह कहा करते थे कि- कलयुग में कलयुग जाएगा, कलयुग में सतयुग आएगा। देखो यही चीज लिंग पुराण के 40वें अध्याय में, सूरसागर में, जगन्नाथ दास की उड़िया किताब में लिखा हुआ है जो गुरु महाराज बोले। सतयुग आयेगा और सतयुग जब गद्दी पर बैठेगा तब कलयुग भगेगा। एक कुर्सी पर एक साथ दो आदमी नहीं बैठ सकते हैं। तो जब कलयुग भगेगा तो कलयुगी लोगों को रगड़ाई करता हुआ लेता जाएगा, बहुत मरेंगे। लाशों पर लाशों का होगा नजरा, सुनते तो जाओ संदेश हमारा, जमाना बदलेगा। वह समय आएगा इसलिए लोगों को बचाने की जरूरत है।

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