धर्म कर्म: निजधामवासी बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, इस समय के युगपुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि शास्त्र के अनुसार यह कलयुग, सतयुग में कुछ समय के लिए राज करने गया था और उस सतयुग को आना है। तो इसकी जानकारी धरती के सन्त महात्मा को रहती है। तो हमारे गुरु महाराज बाबा जयगुरुदेव जी कहा करते थे, जो इस धरती के पूर्ण सन्त थे, कि कलयुग में कलयुग जाएगा और कलयुग में सतयुग आएगा। यही चीज लिंग पुराण के 40 वां अध्याय में, सूरसागर में, जगन्नाथ दास की उड़िया किताब में लिखा हुआ है। एक कुर्सी पर एक साथ दो आदमी नहीं बैठ सकते हैं। जब सतयुग गद्दी पर बैठेगा तब कलयुग भगेगा और कलयुगी लोगों को रगड़ाई करता लेता जाएगा। बहुत मरेंगे। लाशों पर लाशों का होगा नजरा, सुनते तो जाओ संदेश हमारा, जमाना बदलेगा। वह समय आएगा इसलिए बचने और लोगों को बचाने की जरूरत है।
मनुष्य का असली काम जीवात्मा को घर पहुंचना है
मनुष्य का असला काम है जीवात्मा को घर पहुंचना, मुक्ति मोक्ष दिलाना। तो वह जीव जिनका संस्कार बन जाता है वह अंकुरित जीव कहलाते हैं। अंकुरित जीवों को खींच लिया जाता है, खिंच जाते हैं। कैसे? जैसे आप इसी आई भीड़ में ही देख लो, पूछो, इन्ही में इस तरह के निकल आएंगे कहेंगे कि आ सकने की स्थिति तो नहीं थी, कुछ कहेंगे कि आने का मन नहीं कह रहा था, कुछ कहेंगे कि ऐसी दिक्कत थी कि न पहुंच पाएंगे लेकिन चला आया। ऐसे खींच कर आ जाते हैं। कभी ऐसा भी होता है कि उपर में सतपुरुष के 16 सुत, जिनके बड़े-बड़े लोक हैं, उनकी नजर जब इस धरती पर किसी जीव पर पड़ जाती है तो वह भी अंकुरित जीव कहलाते हैं। तो इस धरती पर ऐसे बहुत से जीव अब भी पड़े हुए हैं, जो सन्तों के संस्कारी जीव हैं। तो अंकुरित जीव खींच करके वहां (वक़्त के गुरु के पास) पहुंच जाते हैं। ऐसे गुरु जब मिल जाते हैं तब कहा गया है- कर्ता करे न कर सके, गुरु करे सो होय। वह गुरु ही सब करते और कराते हैं। और आखिर में विश्वास दिला करके, नामदान देकर, भजन करा करके जीवों को पार कर दिया करते हैं।
आप ऊपरी लोकों में जा-आ सकते हो
वेद में लिखा है नेति नेति। वह वेद से जिनकी उत्पत्ति हुई, वेद से जो जुड़े हुए हैं, उन्ही को नहीं मालूम कि आगे और है क्या। तो उसके आगे भी कई लोक हैं। देवी-देवता का लोक है, त्रिदेव- ब्रह्मा विष्णु महेश के, इनकी मां आद्या महा शक्ति का, इनके पिता ईश्वर का, पार ब्रह्म का लोक है, सतलोक, अलख लोक, अगम लोक, अनामी लोक आदि बहुत से लोक हैं। तो गुरु महाराज के दिए नामदान, सुमिरान ध्यान भजन करके आप इस नाम की कमाई करके आप उन (उपरी) लोकों में भी जा-आ सकते हो। अभी अगर आप जाना चाहो तो भी आप जा सकते हो। गुरु के दिए नाम के सुमिरन करने से, ध्यान लगाने से, आवाज शब्द को पकड़ करके जीवात्मा को ऊपर पहुंचाने का अभ्यास करने से आप वहां पहुंच सकते हो। तो आप बड़े भाग्यशाली हो जिनको यह देव दुर्लभ मनुष्य शरीर मिला, नाम मिला, समरथ गुरु मिले हैं, तो आप नाम की कमाई करो। गुरु को याद करते रहो। गुरु की देखरेख में, गुरु के बताए अनुसार आप नाम की कमाई करो। और नाम की कमाई में जब मन न लगे तो देखो मन कहां जा रहा है।