धर्म कर्म: जिनके दरबार में दीन और समर्पण भाव से लग करके भरपूर सेवा और भजन करने पर जो अपने भक्त की पूरी जिम्मेदारी ले लेते हैं, मन के घोड़े की लगाम कसने के सरल व्यवहारिक उपाय बताने वाले, इस समय के पूरे समरथ सन्त सतगुरु दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में एक कहानी के माध्यम से गहरी बात समझाते हुए कहा कि एक राजा बोला, कोई उत्तराधिकारी मिल जाए तो सब राज-काज छोड़ कर भजन करूँगा। महात्मा बोले मेरे जैसा कैसा रहेगा? बोला, सबसे बढ़िया। फिर तू कहां कैसे रहेगा? बोला, राजकोष से थोड़ा धन लेकर कहीं रहूँगा, भजन करूँगा। कहे कि वो तो तूने मुझे दे दिया, मैं क्यों उसमें से तुझे दूंगा? बोला तो फिर कहीं नौकरी करूँगा। महात्मा बोले, देख राजा! मेरे यहां एक राजा की जगह खाली है। बोल नौकरी करेगा? राजा बोला, जो हुक्म होगा, वह सब करूंगा। आपकी नौकरी जब करना है तो जो कुछ कहोगे सब करुंगा। बोले, राजा की जगह खाली हो गई थी तो राजा की नौकरी तू कर ले। तू समय से आना और राज-काज का काम देखकर के जैसे और नौकर करते हैं, ऐसे समय से आना और समय से देखकर के चले जाना। बाकी जो समय बचेगा, उसको प्रभु के भजन में लगाना।

उसको जब सच्चे दिल से, स्वतंत्र मस्तिक, फ्री माइंड से जब उसको याद करेगा तो वह तेरे पर दया कर देगा। तू मेहनत कर और तेरी मदद हो जाएगी। कहते हैं, बिन गुरु भक्ति शब्द में पचते, सो प्राणी तू मूरख जान। शब्द खुलेगा गुरु मेहर से, खींचे सुरत, गुरु बलवान।। वह खींचते, दया करते हैं तब आगे बढ़ पाती है। दया हो जाएगी तेरे ऊपर। तो ऐसे ही, रहो इसी गृहस्थ आश्रम में, लेकिन इसको अपना मत समझो की यह मेरा है। समझो कि हम एक तरह से कर्मचारी, उस प्रभु के गुरु के कर्मचारी हैं और हमको अपने शरीर के लिए खाने, कपड़े का इंतजाम करना है, अपने लिए घर बनाना है और हमारे जो आश्रित हैं या लेना-देना, कर्मों का कर्जा अदा करने के लिए परिवार वालों को जोड़ दिया गया है, इनके लिए भी हमारा फर्ज बनता है। इनके लिए भी इसमें से कुछ समय हमको निकलना है। लेकिन इसी में फंसे मत रहो। बहुत काम ऐसा होता है जो थोड़ी देर में ही खत्म हो जाता है जैसे बहुत से लोग घंटो मंजन करते, नहाते रहते हैं। कोई कुएं से ,नल से पानी भरकर लाने वाला मिल जाए तो बहुत से लोग तो 16-18 बाल्टी से नहाते रहते हैं। ऐसे अपना दो बाल्टी में नहा लिया। बच्चों को खिलाते-खिलाते ही लोग ट्रेन छोड़ देते हैं, मोह नहीं छोड़ पाता है।

सब काम टाइम टेबल बना कर करो

गुरु महाराज ने बताया कि सब काम का टाइम टेबल बना लो। जैसे अच्छे पढ़ने-लिखने वाले बच्चे हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू, फारसी जो भी पढ़ते हैं, उसका टाइम टेबल बनाये रहते हैं की खेलने का टाइम रहता है तो खेल कर भी चले आएंगे। समाचार भी देख-पढ़ लेंगे, देश-दुनिया की जानकारी हो जाएगी। उनका टाइम टेबल बना रहता है। ऐसे ही जीवन का टाइम टेबल बना लो। और जब टाइम टेबल बना लोगे तो (साधना के समय) मन उस (दुनिया) में नहीं लगेगा। जैसे पढ़ते-पढ़ते जब टाइम हो गया 4 बजा तो खेल में मन लगेगा। चलो थोड़ा खेल आएंगे, व्यायाम हो जायेगा, पेट सही हो जाएगा, नसें ढीली हो जायेगी, शरीर में रक्त का संचार ठीक से हो जाएगा। तो बच्चे का पढ़ाई पर से ध्यान हट जाता है। और जितनी देर खेलता है, उतनी देर मन उसी में लगा रहता है। जब समाचार का समय आया तो सब काम बंद करके समाचार देख-सुन लिया फिर उधर से मन हटा दिया। तो उतनी देर मन वहां लगा रहता है। मन का रूटीन, आदत बन जाती है। तब सब चीजों को भूलता है, ध्यान लगाते हैं, शरीर को, काम को भूल जाता है, इतनी देर तक मन उसमें लगता है। और जब मन लग जाता है तब काम बन जाता है। बगैर मन के लगे हुए काम बनता नहीं है।

कंज गुरु किसको कहा है

जहां से दुनिया की सारी विद्या, ज्ञान, धन खत्म होता है, वहां से आध्यात्मिक विद्या, आध्यात्मिक ज्ञान, आध्यात्मिक धन की शुरुआत होती है। तो वह होते हैं आध्यात्मिक गुरु। वह क्या करते हैं? जहां का जीव तहां पहुंचावा। जहां से यह जीवात्मा इस मृत्यु लोक में आई है, शरीर में डाली गई है, उसे वापिस वहां पहुंचने का काम करते हैं। उन्हीं को शब्द भेदी गुरु कहा गया, किसी ने कंज गुरु कहा, किसी ने समरथ गुरु कहा, किसी ने सतगुरु कहा। तरह-तरह से उनके नाम को लोगों ने पुकारा है।

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