धर्म-कर्म: जयगुरुदेव नाम प्रभु का है और संकट में मददगार है, परीक्षा लेकर स्वयं देख सकते हो- इतना बड़ा दावा डंके की चोट पर करने वाले, छोटे-बड़े तमाम संकट टालने के उपाय बताने वाले, और यदि नासमझी अज्ञानता में न टाल पाओ तब भी जान-माल बचाने का सरल उपाय बताने, रटाने वाले, जीवन रक्षक जयगुरुदेव नाम ध्वनि रूपी संजीवनी बूटी के अविष्कारक, इस समय के पूरे समरथ सन्त सतगुरु दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने बताया कि इस समय प्रभु के जगाये हुए जयगुरुदेव नाम में ताकत है। मुसीबत तकलीफ में अगर आप जयगुरुदेव नाम बोलोगे तो मदद मिलेगी। आपका यह सूरतगढ़, बीकानेर, हनुमानगढ़ जहां आप लोग रहते हो, यह बारूद का ढेर है।

बॉर्डर के पास रहने वाले लोगों को सजग रहने की जरूरत है

लोगों की बुद्धि खराब हो रही है। शराब पीने से आदमी होश में नहीं रह जाता। शराब के नशे में मां बहन बहू से गलत काम कर बैठता है, बेटे बाप को, बाप बेटे को मार देता है, कब क्या कर डाले, कुछ कहा नहीं जा सकता है। शराब का प्रचलन बहुत बढ़ता चला जा रहा है। मान लो कोई देश का, पडोसी राज्य का या कहीं का भी प्रधानमंत्री राष्ट्रपति शराब पी लिया, बटन दबा दिया तो 10-10 हजार किलोमीटर दूर जाकर गोला गिरता है, विनाश करता है। ऐसे-ऐसे विनाश के हथियार जो बना लिए, यह हथियार बनाना अगर बंद कर दें, पूरे विश्व के सभी नेता इकट्ठा होकर समझौता कर लें की कोई भी लड़ाई होगी ही नहीं, जिसके पास जो है, अपना कमाए-खाय, अपने देश का विकास करे। तो यह लड़ाई के ऊपर जो खर्चा होता है, वो बच जाएगा और विकास के काम आ जाएगा। लेकिन ऐसा होना भी मुश्किल लग रहा है। कारण क्या है? वह कहते हैं, तू डाल-डाल तो मैं पात-पात। ये कम(जोर) नहीं हैं तो हम इनसे (भी) ज्यादा हैं। नशे में मान लो किसी ने बटन दबा दिया तो आप तो बारूद के ढेर पर खड़े हो। आप तो दूसरे देश के बॉर्डर पर हो। आपको सजग रहने की जरूरत है।

शाकाहारी नशा मुक्त होकर मुसीबत के समय प्रभु का नाम जयगुरुदेव जो बोलेंगे, उनकी होगी बचत

उस आदमी को जरूर लाभ मिलेगा जो शाकाहारी नशा मुक्त होगा और वक्त पर जिसके मुंह से जयगुरुदेव नाम निकलेगा, उसकी रक्षा मदद होगी। इस नाम का प्रचार आप लोग कर दो कि जयगुरुदेव नाम हर मुसीबत में मददगार होगा। ये लोगों के मुंह पर, जबान पर आ जाए क्योंकि कोटि-कोटि मुनि जतन कराही। अंत नाम मु:ख आवत नहीं।। आखिरी वक्त पर नाम (याद नहीं आता) मुंह से नहीं निकलता है।

पहले अपने बच्चों के नाम भगवान के नाम पर, नारायण, राम आदि क्यों रखते थे

ताकि किसी तरह से भगवान का नाम मुंह से निकल जाए और (संकट में) कोई मददगार हो जाए। जब यमराज की मार पड़ती है, दूत मार-मार करके, काट-काट करके, झुलसा-झुलसा करके इस जीवात्मा को मरते समय निकालते हैं। कोई भी मदद कर दे, अंत (समय पर) मुंह से निकलता नहीं है। अगर जयगुरुदेव नाम की ध्वनि बोलने लग जाओगे, जयगुरुदेव नाम बराबर बोलने लग जाओगे तो मुसीबत के समय मुंह से निकाल जाएगा तो बचत हो जाएगी।

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