धर्म कर्म: खाने, पहनने, रहने की बहुत अच्छी व्यवस्था हो लेकिन जो बंधा हुआ रहता है, हमेशा दुखी रहता है। इस वक्त पर बंधन में बंधे पशु-पक्षी ही नहीं बल्कि बंधन वाले मनुष्य भी तरह-तरह की तकलीफ झेल रहें हैं। मनुष्य तरह-तरह के बंधन में बंधने से रो-रो कर जिंदगी बिता रहा है। कैसे-कैसे बंधे हैं? इससे मुक्ति कौन दिलाकर जीवात्मा को नर्क चौरासी से बचाएगा? इसके लिए रक्षाबंधन के अवसर पर ध्यान, भजन, सतसंग व नामदान का आध्यात्मिक कार्यक्रम एस. के. मेडिकल कॉलेज के सामने, सांवली, सीकर, राजस्थान में 18 अगस्त शाम 5 बजे से व 19 अगस्त प्रात: 5 बजे से आयोजित किया गया है। कार्यक्रम में बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी वक्त के सन्त सतगुरु परम पूज्य बाबा उमाकान्त जी महाराज अपने मुख्य आश्रम उज्जैन, मध्य प्रदेश से पधार रहे हैं। बाबा उमाकान्त जी महाराज ऐसा सुगम सरल मार्ग बताएंगे कि जिससे इन्सान इसी मनुष्य शरीर में भगवान, खुदा, गाड कहलाने वाले का दर्शन करे उनकी वेद वाणी, आकाशवाणी, गैबी आवाज, साउण्ड कहलाने वाली देव वाणी सुने, जब तक जिन्दा रहे सुखी रहे और अन्त समय आवे तो सभी तरह के बंधन से मुक्त होकर प्रभु की गोदी में बैठ जाए, हमेशा-हमेशा के लिए जन्मने-मरने से छुटकारा पा जाए। ज्ञातव्य है कि यह वही बाबा उमाकान्त जी महाराज है, जिनके दर्शन करने, सतसंग सुनने, अपनी बात कह देने तथा उनके बताए रास्ते पर चलने से बहुत लोगों को हर तरह की तकलीफों में लाभ मिल जाता है। आप भी आजमाइश करके देख सकते हैं। अवसर का लाभ उठाइए दोनों दिन समय से सतसंग सुनिए और परिवार हित मित्रों को भी सुनवाइए।

काल माया के तरह-तरह के बंधन में बंध कर मनुष्य दुख पा रहा है। “श्रुति पुराण बहु कीन्ह उपाई, छूटी न अधिक अधिक उरझाई ” वेद-पुराण आदि ग्रंथों के आधार पर छूटने का बहुत उपाय किया गया लेकिन उलझते ही चले गए। ऐसा कोई उपाय बताने वाला नहीं मिला जो दुनिया के बंधनों से निकालकर भवसागर से पार कर सके। हम कितने तरह के बंधन में बंधे है? मुक्त कैसे होंगे? मुक्त कराएगा कौन? मुक्त होने पर क्या मिलेगा? इस आध्यात्मिक कार्यक्रम में परम् पूज्य बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी परम् पूज्य बाबा उमाकान्त जी महाराज से सुनने को मिलेगा। आंतरिक गूढ़ रहस्य की जानकारी के लिए हम आपको आमंत्रित करते हैं। आप व आपके परिवार के उत्तम भविष्य हेतु जानकारी के लिए अच्छा अवसर है। आइए सतगुरु के चटक रंग में रंग कर सुखमय जीवन व्यतीत करते हुए अंत में हमेशा-हमेशा के लिए नर्क-चौरासी के चक्कर जैसे दुख से मुक्त हो जाइए। देश भक्तों का यह उद्‌देश्य। आध्यात्मिक गुरु हो भारत देश।। सब जीवों में प्रेम बढ़ाओ। अमन चैन का बिगुल बजाओ।।

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