धर्म कर्म: मन को वश में करने का तरीका बताने वाले, बिगड़ती युवा पीढ़ी के लिए चिंतित, नशाखोरी के दुष्परिणामों के प्रति जन जागरण फैलाने वाले, महान समाज सुधारक, इस समय के पूरे समरथ सन्त सतगुरु दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि देखो, बड़े-बड़े पंडित लोग जोर लगाए, लेकिन मन जल्दी वश में नहीं आया। ऋषि मुनि योगी सन्यासी, सब मन से हार गए। वशिष्ठ जी से राम भगवान ने कहा था कि मन को रोकना कठिन काम है। बोले कि इतना कठिन काम है कि कोई कहे कि मैंने हिमालय पहाड़ को उठा लिया, समुद्र को चूल्लू में लेकर के पी लिया तो उसकी बातों पर थोड़ा विश्वास हो सकता है कि यह संभव है लेकिन कोई कहे कि हमने मन को वश में कर लिया, तो हमको उस पर विश्वास नहीं होगा। तो मन पर काबू पाना बड़ा कठिन होता है, एक तरह से लोहे का चना चबाना जैसा है इस समय पर। कलयुग के इस मलीन युग में, जबकि आदमी मन का गुलाम बन रहा है, बुरे परिणाम के बारे में जानते हुए भी वो गलत कर्म कर रहा है। लेकिन अगर दुख न पड़े तो सुख का अनुभव भी न हो। दु:ख और सुख, सिक्के के दो पहलू हैं। अगर इस तरह चंचलता न आती, लोग अपने शरीर को पापी बना करके नरकों की तरफ न भगते, नरकों में जाने वालों की संख्या न बढ़ती, प्रेतों की संख्या न बढ़ती तो सन्तों को यहां आने की क्या जरूरत थी। गुरु महाराज जैसे सन्त को इस धरती पर डोल करके, अपने शरीर को कष्ट देने की क्या जरूरत थी? तो ऐसे समय पर सन्तों का आना हुआ। इसके आगे गुरु महाराज ने मन को काबू में करने का तरीका बताया।

भारत के बच्चे-बच्चियों के चरित्र का गिरना बहुत बड़ा अभिशाप बनेगा

इसलिए आप लोग अपने-अपने बच्चे-बच्चियों का ध्यान रखो। कहां जा रहे हैं? क्या कर रहे हैं? किसके साथ जा रहे हैं? गलत आदतों में तो नहीं पड़ जा रहे हैं। इस पर आप लोग अगर ध्यान नहीं दोगे तो कुछ दिन के बाद आधा देश पागल हो जाएगा। पागल किसको कहते हैं? एक तो पागलपन होता है कि आकाश तत्व की कमी जब हो जाती है तब बुद्धि उसकी नहीं रहती है, वह पागल हो जाता है। और एक पागल ऐसा होता है कि जो नशे में पागल हो जाता है। क्या आपको पता है कि आपके बच्चे कहां जा रहे हैं? पता लगाओगे तो पता चलेगा कि आपके बच्चे के पास स्कूटी भले ही न हो लेकिन बच्चे ऐसे को साथी बना लेते हैं या ऐसे लोग इनको अपना साथी बना लेते हैं कि एक स्कूटी पर तीन-चार बच्चे बैठ करके निकल जाते हैं। कहां गए? पार्कों के पास, ऐसे सार्वजनिक जगहों पर चले गए जहां लोग अक्सर घूमने, मनोरंजन करने जाते हैं और उनको अगर वहां कोई नशे की बिक्री करने वाला मिल गया और नशे की चीजों को उन्होंने ले लिया और फिर उसको (कागज़ में) लपेटा, लोग तो समझ रहे हैं कि सिगरेट पी रहे हैं लेकिन वह तो ऐसे नशा देने वाली चीज मिल गई उनको कि, उसके बगैर रह नहीं सकते। अब जब घर से खर्चा नहीं मिलेगा तो वोही बच्चे ऐसे पेशे को अपना लेंगे जिससे उनके अंदर से मानवता, देशभक्ति, देश प्रेम, माता-पिता का प्रेम खत्म हो जाएगा। उनको तो वही (नशे वाली) चीज चाहिए। तो जब कोई नशे में रहता है तो उसको भी लोग पागल कहते हैं। कहते हैं अरे! ये नशे में है, पागल है, इसको मत मारो। भांग-शराब खा-पी के, नशे में जब कोई गाली-गलौच करता है, तो उसको लोग कहते पागल है, पगलाया हुआ है। इसको मत बोलो। अगर यही हाल रहा तो कोई ऐसे स्थिति हो जाएगी। इसलिए बच्चे-बच्चियों का, अपने परिवार वालों का ध्यान रखो। उन्हें समझाते रहो।

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