धर्म कर्म; इस समय के पूरे समरथ सन्त सतगुरु दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज में दिए व ने अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि देखो इस समय पांच नाम है। पांच नाम का सुमिरन करें। सन्त कहे तब भव से तरे।। इन्ही पांच नामों से ही भवसागर से पार हो सकते हो नहीं तो इसी इसी मृत्यु लोक में डूबते-उतराते, दु:ख-सुख झेलते, जन्मते-मरते रहोगे। यहां एक दिन सबको छोड़कर के जाना होता है, इसी को मृत्युलोक कहते हैं। यह भवसागर है। यह पांच नाम, वह नाम है जिसको जप करके, याद करके वाल्मीकि ब्रह्म समान हो गए थे। उल्टा नाम जपत जग जाना, वाल्मीकि भय ब्रह्म समाना।।

न समझ पाने से लोग उल्टा मतलब निकाल लेते हैं

जब नहीं समझ में आया तब लोग उलटा कहने लगते हैं। चलती को गाड़ी कहे, बना दूध का खोया। रंगी को नारंगी, कहे देख कबीरा रोया।। कबीर साहब ने कहा चलती को यह गाड़ी (गड़ी हुई चीज) कह रहे हैं। गर्म दूध जब बढ़िया खाने लायक बन गया, गाढ़ा हो गया तो उसको कहते हैं खोया, (खो गया), बेकार कोई काम का नहीं। जो रंगीन फल होता है उसको ना-रंगी कहते हैं, ऐसा नाम रख देते है। तो नहीं समझ पाने से लोगों के दिमाग में ऐसा आता है की राम-राम की जगह मरा-मरा बोले थे। न समझ में आया तब कहते हैं उल्टा नाम मतलब शीर्षासन करते थे। सिर के बल खड़े हो करके फिर राम-कृष्ण भगवान का नाम लेते थे। वही है की- जिसकी जैसी बुद्धि होती है, उसी हिसाब से अकल लगा करके उसका अर्थ लगता है।

उल्टा नाम जपने का मतलब क्या होता है

जैसे इस शरीर में जो जीवात्मा है, यही इस शरीर को चलाती है। उसी की ताकत से शरीर चलता है। अंग-अंग पुर्जे-पुर्जे में जीवात्मा की शक्ति है। चोटी से लेकर एडी तक, एडी ही नहीं, पैर के अंगूठे तक जीवात्मा की ही शक्ति है। इधर से (उलट कर, ध्यान समेट कर) जब जीवात्मा की ताकत (उपर की तरफ) खींचते हैं और वो ताकत जब इकठ्ठा होती है, तब वह (अंदर में) वज्र किवाड़ खुलता है। वो सहस्त्रदल कमल, तीसरा तिल, पिंडी दसवां द्वार, जहां पर जीवात्मा बैठी हुई है फिर उस पर जब फोकस पड़ता है तब वह आगे बढ़ती है, ब्रह्म का दर्शन करती है तब उसमें ब्रह्म की शक्ति आ जाती है तब ब्रह्म समान हो जाती है। तो बाल्मिक भय ब्रह्म समाना, उल्टा नाम जपत जग जाना।। न आपको उलट करके (साधना) करना है, न सिर के बल खड़ा हो करके करना है, न मरा-मरा जपना है। आपको जो पांच नाम बताया जायेगा, सीधा-सीधा उसको जपना रहेगा। जिसका नाम होता है उसका रूप स्थान और आवाज होती है। नये लोगों को बताया जायेगा।

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