धर्म कर्म; महापुरुषों के आदर्शों को जीवन में उतारने की शिक्षा देने वाले, सभी धर्मों के मूल दया रहम का पाठ पढ़ाने वाले इस समय के महापुरुष वक़्त के पूरे सच्चे समरथ सन्त सतगुरु उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी ने यूट्यूबचैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर प्रसारित संदेश में बताया कि महापुरुषों के आदर्शों पर चलने को ही भक्ति कहते हैं। राम को, कृष्ण को लोगों ने जल्दी नहीं पहचाना। मूर्ति पूजा, रामलीला रासलीला करने, उनके नाम पर मरने-मिटने के लिए तैयार हो जाओ- इसको भक्ति नहीं कहते, भक्ति उसको कहते हैं कि उनके आदर्शों पर चलें। तकलीफ तो इस बात की है कि मौके पर महापुरुषों को किसी ने पहचाना नहीं। जितने भी महापुरुष आये, सबने समझाया-बताया। कुदरत के खिलाफ काम मत करो नहीं तो कुदरत सजा दे देगी। जब लोग नहीं मानते हैं और सजा मिलने लगती है। राम-कृष्ण ने बहुत समझाया, नहीं माने तो विनाश हुआ।

मोहम्मद साहब ने कभी नही सिखाया कि किसी को जान से मार दो, हिंसा हत्या करो

यही हुजूर मोहम्मद साहब थे। उनको भी लोगों ने नहीं पहचाना। दर-बदर ठोकरें खानी पड़ी, बकरियां चरानी पड़ी। मक्का से मदीना भागना पड़ा। अब तो उनके लिए रोना-धोना, मरना-मिटना हो रहा है। यह कभी भी मोहम्मद साहब, राम, कृष्ण ने नहीं सिखाया कि किसी को जान से मार दो, हिंसा-हत्या करो। सब दयावान थे। लड़का गलती करता है तो कान ऐठ देते हैं। लेकिन लड़के का गर्दन, कान नहीं काट देते हैं। अब तो लोगों ने तो यह सोच लिया कि उनके नाम पर काट देंगे, मार देंगे। (ऐसा करोगे तो) सजा मिल जाएगी इसलिए ऐसा कभी मत करना। महापुरुष जब आते हैं जल्दी लोग नहीं पहचान पाते। जब चले जाते हैं तब रामलीला, रासलीला करते हैं, मंदिर-मस्जिद बनाते हैं।

हजरत मोहम्मद साहब का पैगाम लोगों के लिए

कुल मिलाकर के गुरु महाराज ने समझाया कि भाई इस शरीर को गंदा मत करो। मांस मछली अंडा मत खाओ। इसमें जीव होता है। जीव हत्या बहुत बड़ा पाप होता है। दया धर्म तन बसे शरीरा, जीवों के ऊपर दया करो, रहम करो। हजरत मोहम्मद साहब ने भी कहा था, किसी जीव को सजा मत दो। यह उनका उपदेश था। तकरीर में उन्होंने कहा था। यह उनका इल्म था इंसान के लिए सुखी रहने का। उन्होंने कहा, खजूर तुम्हारे लिए बना दिया, पानी बना दिया, बहुत सी चीजों को बना दिया। जब उपदेश करते थे तो बताते थे, कहते थे, कुदरत का जो यह बगीचा है, इसको तोड़ो मत, पेड़ पौधों को भी छेड़ने के लिए मना किया था। मुख्य बात आप यह समझो कि इस मनुष्य शरीर को गंदा मत करो। जैसे बाहर से सफाई रखते हो, अंदर भी सफाई होनी चाहिए। मांस मछली अंडे के लिए गुरु महाराज ने मना किया। हम भी यही कहते हैं। ऐसे विनाशकारी नशे का, जो परिवार बुद्धि खत्म कर अपराध करा देता है, जो अपना-पराया की पहचान खत्म कर देता है, ऐसे नशे का सेवन, शराब अफीम कोकिन, तमाम नशे की गोलियां आदि को मत पियो-खाओ।

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