लखनऊ। राम मंदिर आंदोलन से जुड़े संत-महंतों को भी कोरोना ने अपनी चपेट में ले लिया है। इस समय कुछ प्रमुख धर्माचार्य ऑक्सीजन के लिए तड़प रहे हैं तो कईयों को इलाज के लिए महानगर की शरण लेनी पड़ रही है। हालत ये है कि सांसदों और विधायकों का प्रयास भी संतों की रक्षा करने में सार्थक साबित नहीं हो रहा है।

अयोध्या संत समिति के सदस्य अध्यक्ष व सनकादिक आश्रम के महंत कन्हैया दास रामायणी रामकोट मोहल्ला के निवासी हैं। हरिद्वार कुंभ मेले में आयोजित संत सम्मेलन से जब वह लौटे तो उनकी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई। सांस फूलने व तेज बुखार के बाद 3 दिन पहले कन्हैया दास को दशरथ मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराने के लिए ले जाया गया, जहां उन्हें सिर्फ इंजेक्शन लगाकर वापस कर दिया गया।


दिवंगत संत नागा हरीदास.

कन्हैया दास पहले से ही फेफड़े की बीमारी से ग्रसित हैं। अब कोरोना संक्रमित होने के बाद उनकी हालत बेहद गंभीर है। कन्हैया लाल ने बताया कि सांसद लल्लू सिंह ने अस्पताल में भर्ती कराने के लिए अस्पताल प्रशासन से बात की, कई संतों ने भी सिफारिश की। इसके बावजूद उन्हें दशरथ मेडिकल कॉलेज में एक भी बेड नहीं मिला।


दिवंगत संत रामभद्र पाठक.

कई महंतों का हुआ निधन
राम मंदिर आंदोलन से जुड़े प्रमुख धर्माचार्य व रंगमहल मंदिर के महंत रामशरण दास भी कोरोना संक्रमित हैं। बता दें कि हनुमानगढ़ी से जुड़े प्रसिद्ध महंत नागा हरिदास का कोरोना के चलते निधन हो गया। आरोप है कि उन्हें इलाज के लिए समय से ऑक्सीजन नहीं मिल सका। सन् 1949 से रामलला के गर्भगृह में उनका प्राकट्योत्सव मनाने वाली रामजन्मभूमि सेवा समिति के उपाध्यक्ष व ज्योतिषी गिरीश पाठक के पिता रामभद्र पाठक का कोरोना के चलते निधन हो गया, वे भी काफी समय से बीमार चल रहे थे।https://gknewslive.com

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