धर्म-कर्म: इस काल के देश में होने और मनुष्य शरीर में होने के नाते जिनके मर्यादित मानव व्यवहार जैसे खाने, पीने, सोने, चलने आदि से भ्रमित होकर जिनको मनुष्य समझने की भूल गलती से भी नहीं करनी चाहिए, जिनकी हां में हां मिलाने से बड़े-बड़े चमत्कार नित्य प्राय: देखे जा सकते हैं, जिनके आदेश की अक्षरशः पालना करने से लोक-परलोक के सब काम बन जाते हैं, बेगुण बैंगन वाली कहानी से भी यही इशारा मिलता है, जिनके गुलाम बन के रहो तो इस कायनात का बादशाह बना दें, प्रभु जिनमें समा कर स्वयं काम कर रहे हैं, ऐसे इस वक़्त के पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन के बाबा उमाकान्त जी महाराज ने बताया कि रात को भी उजाला साधक, गुरुओं को, गुरु के प्रेमियों को, भक्तों को दिखाई पड़ा। आपको गुरु नानक साहब के समय की घटना बताऊं। गुरु नानक साहब पूरे सन्त थे। तो एक बार आधी रात को अपने लड़के श्रीचंद से कहा देखो, क्या (बढ़िया) सूरज खिला हुआ है, क्या (बढ़िया) रोशनी दे रहा है, कितना तेज धूप है। बोला पिताजी धूप कहां है? रात को 12 बजा है।अभी धूप कहां से आएगी। बोले, अरे! बहुत तेज धूप है। बोला नहीं है। अब उनके छोटे लड़के लख्खी चंद भी उठ गए, पूछा पिताजी, क्या बात है? नानक साहब जोर से बोले अरे देख-देख, सूरज कितना तेज चमक रहा है। कितनी तेज रोशनी है, अपने लोग धूप में बैठे हैं। और यह (श्रीचंद) कह रहा है कि धूप ही नहीं निकला, अभी तो रात है। वो हंसा, बोला पिताजी, आपको क्या हो गया? दिन में सूरज निकलता है, दिन में धूप होती है अभी तो रात है। कहीं दिन नहीं दिखाई पड़ रहा। अभी तो अंधेरा है। तब तक वह आ गये लहना। लहना कौन थे? अंगद देव जी। अंगद किसको कहते हैं? गुरु का अंग। गुरु उनमें समा जाते हैं, जिनको अपना काम करने के लिए आदेश देते हैं और एक तरह से उनमें समा करके काम करते हैं। तो उनको कहते हैं अंगद, गुरु का अंग उनको बताया गया। अंगद नाम रखा। तो कहा, लहना! देखो सूरज निकला है कि नहीं निकला है? तुरंत कहा, सूरज निकला हुआ है गुरुजी, बहुत तेज धूप है। क्योंकि वो राज को जानते थे। वो ध्यान भजन करते थे।
वक़्त के महापुरुष को लोग जल्दी पहचान नहीं पाते, लाभ नहीं ले पाते और समय निकल जाता है
महापुरुषों का नजदीकी हो जाना या महापुरुषों का खून जिनके अंदर हो जैसे उनका बेटा हो या परिवारजन हो तो यह कोई जरूरी नहीं है कि उसको इल्म मिल ही जाए। महापुरुष उसको इल्म दे ही दे या उसको वो ताकत प्राप्त ही हो जाए जिससे यह सब (दिव्य) चीजें दिखाई पड़ती हैं, यह कोई जरूरी नहीं है। इसलिए उन (बेटों) में वह ज्ञान नहीं था और वह यह समझते थे कि हमारे यह पिताजी हैं (मनुष्य हैं)। नजदीक रहने वाले महापुरुषों को जल्दी नहीं समझ पाते हैं। क्योंकि महापुरुष इसी मनुष्य शरीर में ही रहते हैं और इसी धरती का अन्न खाते, पानी पीते, इसी धरती पर चलते हैं तो लोग भ्रम और भूल में रह जाते हैं कि हम मनुष्यों की तरह से टट्टी-पेशाब कर रहे, खा-पी रहे, चल रहे, समाज में रह रहे, हंस-बोल रहे, मजाक कर रहे हैं। इनके अंदर कोई गुण ही नहीं है। कुछ मालूम ही नहीं पड़ रहा कि यह महापुरुष हैं तो ऐसे लोग भ्रम में रह जाते हैं। लेकिन जो अंदर से उनके रूप को देख लेते हैं, वो राज को समझ जाते हैं। तो लहना (सुरत शब्द योग साधना का) अभ्यास करते थे। करने से होता है, केवल नाम दान लेने से नहीं होता है। नाम की कमाई, सुमिरन ध्यान भजन करने से होता है। तो अंगद लहना करते थे तो लहना को सूर्य दिखाई पड़ता था। रात को देखो, दिन में भी देखो। उजाले में जब यह जीवात्मा पहुंच जाती है तब तो उजाला ही दिखाई पड़ता है। वहां अंधेरा होता ही नहीं है। उस लोक में जब जीवात्मा पहुंच जाती है, जहां सूरज कभी डूबता ही नहीं है तब उजाला ही उजाला दिखाई पड़ता है। बोले हां हां हां गुरुजी, बहुत उजाला है। नानक जी बोले, ले जा ये हमारी धोती और धो कर के, सुखवा कर ले आ। अब वो गये। उनसे (दोनों बेटों से) कहे कि देखो ये धोती धो करके और धूप में सुखवा कर के ले आएगा, थोड़ी देर बैठे रहो। अब लहना गए, (आधी रात को) धोती धो करके, सुखवा करके लाए, तह करके रख दिये। तो वो (लहना) राज को समझते थे, तो उन्होंने यस कर दिया। ऐसे ही राज जब समझ में आ जाएगा तब आपको विश्वास हो जाएगा।
पहले की तुलना में इस मलिन समय में गुरु की दया भरपूर हो रही है, खूब छूट चल रही, फायदा उठाओ
पहले का समय बड़ा कठिन था। पहले लोगों को संयम-नियम मालूम था। संयम-नियम से रहते तो प्रकृति का प्रकोप नहीं होता था। लोगों के हाथ-पैर, आंख-कान से बुरे कर्म नहीं होते थे तो कर्मों की सजा लोगों को नहीं मिलती थी तो महापुरुष भी दया को थोड़ा ढीला रखते थे। मेहनत कराते थे कि मेहनत करो और खुद मेहनत करके फल लो। लेकिन अब तो महापुरुषों ने इधर कुछ दिनों से जब ज्यादा मलीनता आने लग गई, जब ज्यादा लोगों के बुरे कर्म बन गए, जब ज्यादा खानपान चरित्र लोगों का खराब हुआ तब थोड़ी छूट दे दिया कि कम समय में भी कम करोगे तो भी उसका फायदा लाभ मिल जाएगा। तो यह अवसर अपने लिए बहुत अच्छा है। यह जो मनुष्य शरीर पाने का दांव लग गया, यह जो आपको समय मिल गया, इसका उपयोग प्रेमियो! करना चाहिए।