धर्म कर्म; केवल किताबों को पढ़ने से नहीं बल्कि प्रैक्टिकल करने से फायदा होगा, तो धार्मिक ग्रंथों में जिस आध्यात्मिक विद्या का इशारा किया गया है, उसे देने वाले, उसका प्रैक्टिकल करवाने वाले, इस समय के पूरे समर्थ सन्त सतगुरु दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि जो‌ (यह प्रभु का सच्चा भजन नामदान) करेगा, सो पायेगा। यह तो ऐसा करना है कि जितनी देर करेगा, उतना फल पायेगा, 10 मिनट, आधा घंटा, पांच मिनट जो जितना करेगा, उतना फल मिल जाएगा। जो जस कीन, सो तस फल चाखा। जो जैसा करेगा, उसी हिसाब से उसको फल मिलेगा। तो करने तो लग जायेगा इसीलिए सब जगह नाम दान बता के आता हूं। कौन सा नाम? यही जो आज सतसंग में आये हुए नए लोगों को बताया जाएगा। वो नाम जिसे लेते ही भव सागर सूख जाता है। कलयुग योग न यज्ञ न ज्ञाना, एक आधार नाम गुण गाना। कलयुग में यज्ञ जप तप से कुछ नहीं मिलने वाला है। कलयुग में तो जीवों को पार होने का एक नाम का ही आधार है।

कर्म के पर्दे कैसे हटते हैं ?

कर्म के पर्दे हटते हैं- सेवा करने, भजन करने, सतसंग सुनने से कर्म कटते हैं तब (उपरी दृश्य) दिखाई पड़ता है, वो (दिव्य चक्षु) खुल जाता है। तब उघरहिं विमल विलोचन ही के मिटहिं दोष दुख भव रजनी के। जब वो (दिव्य) आंख खुल जाती है तब यह भव सागर में आने-जाने का, जन्मने मरने का सिलसिला छूट जाता है, भव सागर में आने वाले सभी दोष मिट जाते हैं। सुजह राम चरित मणि, यानी राम का चरित्र जो इस शरीर के अंदर 24 घंटे हो रहा है, वो दिखता है, प्रभु दिखाई पड़ जाते हैं। उसकी रचना, जैसे यहां की रचना है, पेड़-पौधे, पहाड़, नदी-नाले की सुंदरता, खुशबू, सुंदर चिड़िया जानवर, चलने वाले सुंदर मनुष्य स्त्री पुरुष, ऐसे ही ऊपरी लोकों की निर्मलता, सुंदरता दिखाई पड़ने लग जाती है। तो वो आँख खुलेगी कैसे? जब कोई जानकार मिलेगा। वो तरीका बताएगा। इसीलिए कहा गया- पूरे गुरु की जरूरत सबको रहती है।

जिंदगी पानी के बुलबुले की तरह से है

गुरु महाराज ने भी कहा, मैं भी बार-बार कहता रहता हूं की समय निकालो, शरीर के लिए ही सब कुछ करने में मत लगे रहो। आत्मा के लिए भी करो नहीं तो यह आत्मा फंस जाएगी। और यह शरीर तो नाशवान है, पानी के बुलबुले की तरह से है। जैसे बरसात में पानी में बूंदे गिरने पर बुलबुले बनते और तुरंत ख़त्म हो जाते हैं ऐसे ही यह जिंदगी है। देखत ही छिप जाएंगे ज्यों तारे प्रभात। जैसे आसमान में सुबह दिखने वाले तारे देखते-देखते छिप जाते हैं, उसी तरह से यह जीवन लीला खत्म हो जाती है। तो इसको अपना मत समझो और दो घंटा समय रोज निकालो। उस समय पर सब कुछ भूल जाओ। केवल उस प्रभु को ही याद करो। फिर देखो, अंतर में आपको गुरु का जलवा दिखाई पड़ जाए।

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