UP By Election 2024: उत्तर प्रदेश में नौ सीटों पर उपचुनाव में तीनों प्रमुख दलों भाजपा,सपा और भाजपा के पत्ते खुल गए हैं। कटेहरी का ‘लाल’ कहलाने वाले लालजी वर्मा चुनाव में भले ही प्रत्याशी नही हैं मगर असल जंग उन्ही से है सभी दलों की। लालजी वर्मा की पत्नी शोभावती साइकिल पर सवार होकर विधानसभा पहुंचना चाहती हैं। लोकसभा चुनाव के बाद हो रहे इस उपचुनाव में सियासी दलों की ताकत की बड़ी परीक्षा है। सभी दलों ने उपचुनाव के लिए पूरी ताकत लगा रखी है। अंबेडकरनगर की कटेहरी विधानसभा सीट पर हो रहा उपचुनाव सपा सांसद लालजी वर्मा के लिए प्रतिष्ठा की जंग बन गया है क्योंकि पार्टी ने इस सीट पर उनकी पत्नी शोभावती वर्मा को टिकट दिया है। भाजपा की जारी सूची में इस सीट पर धर्मराज निषाद को टिकट मिला है। बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने कटेहरी उपचुनाव में अमित वर्मा को उतार कर कुर्मी वोट बैंक में सेंधमारी की पृष्ठभूमि तैयार कर दी है। मायावती का कदम सपा प्रत्याशी शोभावती वर्मा की मुश्किलें बढ़ा सकता है। कटेहरी के कुछ लोग कहते हैं कि बीएसपी का ‘पासा’ काम नही आयेगा। खैर यह तो कयास है, असल फैसला कटेहरी के मतदाताओं को करना है।कटेहरी विधानसभा उपचुनाव में समाजवादी पार्टी ने बसपा सरकार में ताकतवर मंत्री रहे लालजी वर्मा वर्तमान में सपा का बड़ा नाम हैं। उनकी पत्नी शोभावती वर्मा को समाजवादी पार्टी ने उतार कर जीत हासिल करने की रणनीति तैयार की है। सपा के टिकट पर अंबेडकरनगर से लोकसभा का चुनाव जीतने वाले लालजी वर्मा की इलाके में मजबूत पकड़ मानी जाती है। इस विधानसभा क्षेत्र में सपा के टिकट के कई दावेदार थे मगर सपा मुखिया अखिलेश यादव ने लालजी वर्मा पर ही भरोसा किया।लालजी वर्मा पहले अपनी बेटी छाया वर्मा को इस सीट से लड़ाना चाहते थे मगर बाद में अपनी पत्नी का नाम आगे किया जिस पर सपा मुखिया अखिलेश यादव ने मुहर लगा दी। प्रत्याशी भले ही शोभावती वर्मा हैं मगर असली चुनाव लालजी वर्मा को ही लड़ना है। उनकी प्रतिष्ठा इस उपचुनाव में दांव पर है।

भाजपा ने इस सीट पर पूर्व मंत्री धर्मराज निषाद को उतार कर सपा को घेरने का प्रयास किया है। इस सीट को लेकर पिछले कई दिनों से कयासबाजी चल रही थी मगर आखिरकार पार्टी ने अति पिछड़े वर्ग के धर्मराज निषाद पर भरोसा जताया है। धर्मराज निषाद की भी मजबूत पकड़ मानी जाती है।धर्मराज 1996 में पहली बार बसपा के टिकट पर विधायक बने थे। 2002 में भी वे बसपा से जीते। 2007 में बसपा के ही टिकट पर उन्होंने जीत की हैट्रिक पूरी की। बसपा सरकार में वे मत्स्य मंत्री बने थे। 2012 के विधानसभा चुनाव में वे बसपा अध्यक्ष मायावती के निर्देश पर जौनपुर जिले के शाहगंज से चुनाव लड़े।लेकिन सपा के ललई यादव से उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 2018 में उन्होंने बीएसपी छोड़कर बीजेपी ज्वाइन की थी। उन्होंने 2022 में अकबरपुर विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ा मगर उन्हें नाकामयाब रहे। अब भाजपा ने एक बार फिर उन्हें कटेहरी से चुनाव मैदान में उतार दिया है। कटेहरी विधानसभा उपचुनाव में बसपा मुखिया मायावती ने कुर्मी बिरादरी से ताल्लुक रखने वाले अमित वर्मा को चुनाव मैदान में उतार दिया है। अमित वर्मा कुछ समय पूर्व कांग्रेस का जिलाध्यक्ष पद छोड़कर बसपा में शामिल हुए थे और उन्होंने बसपा मुखिया मायावती से मुलाकात की थी। मायावती ने उन्हें कटेहरी विधानसभा उपचुनाव के लिए प्रभारी बनाया था जिसके बाद उन्हें टिकट मिलना तय हो गया था।अमित वर्मा उर्फ जितेंद्र भैया 2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर कटेहरी से लड़ चुके हैं। इस चुनाव में उन्होंने 12 हजार वोट हासिल किए थे। 2020 में उन्हें कांग्रेस का जिला अध्यक्ष बनाया गया था मगर जून महीने के दौरान उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा देकर बसपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। बसपा मुखिया मायावती ने कटेहरी में उन्हें उतार कर बड़ी सियासी चाल चल दी है।

कटेहरी विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा कुर्मी मतदाता हैं। कटेहरी में कुर्मी मतदाताओं की संख्या करीब 45 हजार है। सपा और बसपा दोनों दलों की ओर से कुर्मी प्रत्याशी उतारे जाने से इस वोट बैंक में बंटवारे की पृष्ठभूमि तैयार हो गई है। इस विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम और निषाद मतदाता भी जीत-हार में बड़ी भूमिका निभाते रहे हैं। इस क्षेत्र में करीब 40 हजार मुस्लिम और 30 हजार निषाद मतदाता हैं। ब्राह्मण और ठाकुर मतदाताओं की संख्या करीब 80 हजार बताई जाती है।भाजपा ने जातीय समीकरण को ध्यान में रखकर धर्मराज निषाद को मैदान में उतारा है।अब मतदाताओं का रूख क्या होगा, ये तो भविष्य के गर्भ में है। फिलहाल जंग एनडीए बनाम इंडिया होगी, यह तय है।

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