धर्म कर्म: त्रयोदशी मासिक भण्डारा व दीपावली के अवसर पर वक्त गुरु परम् पूज्य परम् सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज द्वारा समय परिस्थिति अनुकूल रहने पर सतसंग व नामदान कार्यक्रम- 29 अक्टूबर से 1 नवम्बर स्थान- बाबा जयगुरुदेव आश्रम, जयगुरुदेव नगर, पिंगलेश्वर रेलवे स्टेशन के सामने, मक्सी रोड, उज्जैन, मध्य प्रदेश में होगा।

पूरे शब्द भेदी गुरु को खोजो, फिर जब अन्तर में ज्योति जलेगी तब होगी असली दीपावली

जीवात्मा को मुक्ति-मोक्ष दिलाने का रास्ता- पांच नाम का नामदान देने के एकमात्र अधिकारी, वक़्त गुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज ने अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि प्रचार-प्रसार करना, लोगों को शाकाहारी नशा मुक्त बनाना, अंडा शराब मांस मछली से दूर रहने का उपदेश करना, मनुष्य शरीर के बारे में लोगों को बताना, जिनकी इच्छा यह हो जाए कि हम जीते जी भगवान का, अंदर में देवी-देवताओं का दर्शन करना चाहते हैं, स्वर्ग-बैकुंठ में घूमना चाहते हैं, जिनकी इच्छा हो जाए उनको लेकर के दीपवाली कार्यक्रम में उज्जैन आश्रम पर आ जाना। गुरु महाराज की दया से उनको रास्ता बता दिया जाएगा कि इस तरह से तुमको दर्शन हो सकता है। गृहस्थ आश्रम में ही भगवान मिलता है। आज तक जिसको मिला मनुष्य शरीर में मिला। घर छोड़कर के जो जंगल में गए, उनको नहीं मिला। तो आपको वह रास्ता बताया, दिया जाएगा।

एक दीपावली अंतर में होती है

महाराज जी ने बताया कि एक दीपावली अंतर में होती है। वह ज्योति अगर अंदर में दिखाई पड़ जाए, अंदर में जल जाए तो फिर इस (बाहरी) आंख की कोई जरूरत नहीं रहती है। अंदर की आंख से ही बाहर और अंदर देखा जा सकता है। बहुत समय पहले की बात है गुरु महाराज के एक प्रेमी थे गोरखपुर में। नामदानी थे उनकी आंख चली गई थी। उनको बाहर से दिखाई नहीं पड़ता था। लेकिन अंदर की आंख उनकी खुली हुई थी। तो टट्टी पेशाब कराने के लिए उनका पोता उनको ले जाया करता था। घर का कोई भी आदमी उनको ले जाता था। बाहर लोग जाते थे। पहले आज की तरह तो लैट्रिंग नहीं थी। कोई भी काम के लिए कहीं जाना होता तो परिवार के लोग उनको ले जाते थे लेकिन कभी-कभी प्रेमी लोग जब उनसे मिलने के लिए आते तो वह देख करके उससे कह देते अरे यह तो बहुत दिन के बाद आ रहा है, अरे यह तो पेरवा (पीला) कुर्ता पहने हुए हैं, ऐसे मौज में देखकर के बोल देते थे। तो बहुएं कहती थी यह तो नाटक किये हुये हैं, नौटंकी करते हैं, सहारा खोजते हैं। यह देखते सब है लेकिन यह बताते नहीं है। समझ लो, अगर एक बार अंदर में उजाला हो जाए, अंदर में दीपक जल जाए, अंदर के आंख की गंदगी खत्म हो जाए तो जीवन उज्जवलमय हो जाता है। लोग कहते हैं आपका भविष्य उज्जवलमय हो, जीवन उज्जवलमय हो। तो यह फिर उज्जवलमय हो जाता है। फिर यहाँ कोई दीपक जलाओ न जलाओ, कोई भी काजल इसमें लगाओ न लगाओ, बाहर में तो फिर कोई जरूरत ही नहीं है। अंदर में घट में उजाला हो जाए तो सब काम अभी प्रेमियों बन जाए।

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