Chhath Puja 2024: देशभर में छठ पूजा की धूम मची हुई है और खासकर उत्तर भारत में इस पर्व का खास महत्व है। यह व्रत बेहद कठिन होता है, जिसमें 36 घंटे तक निर्जला उपवास रखा जाता है और ठंडे पानी में खड़ा रहना पड़ता है। हालांकि यह व्रत श्रद्धा और आस्था का प्रतीक है, लेकिन कुछ महिलाओं के लिए यह व्रत स्वास्थ्य के लिहाज से खतरनाक हो सकता है, खासकर गर्भवती महिलाओं के लिए।

प्रेग्नेंट महिलाओं को क्यों बचना चाहिए इस व्रत से?
गर्भावस्था में महिलाओं का शरीर अतिरिक्त देखभाल की मांग करता है, और ऐसे में छठ का कठिन व्रत रखना स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है। प्रेग्नेंट महिलाओं को इस व्रत के दौरान होने वाली शारीरिक परेशानियों और जोखिमों को लेकर सावधानी बरतनी चाहिए। आइए जानते हैं क्यों यह व्रत गर्भवती महिलाओं के लिए उपयुक्त नहीं होता.

पहले तीन महीनों में व्रत से बचें:
प्रेगनेंसी के पहले तीन महीने (फर्स्ट ट्राइमेस्टर) में महिलाओं को उल्टी, सिरदर्द, थकान, जी-मिचलाना और घबराहट जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में 36 घंटे तक निर्जला उपवास रखना गर्भवती महिला के लिए बहुत मुश्किल हो सकता है और इससे उनकी तबीयत बिगड़ सकती है।

डिहाइड्रेशन का खतरा:
गर्भवती महिलाओं को निर्जला उपवास करने से बचना चाहिए, क्योंकि इससे डिहाइड्रेशन (शरीर में पानी की कमी) हो सकता है, जो उनकी और बच्चे की सेहत पर बुरा असर डाल सकता है। छठ के व्रत में पानी तक पीने की अनुमति नहीं होती, जिससे डिहाइड्रेशन के कारण गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।

लो एनर्जी और थकावट:
प्रेगनेंसी के दौरान शरीर को अतिरिक्त ऊर्जा और पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। लंबे समय तक बिना भोजन और पानी के रहना गर्भवती महिला को कमजोर, थका हुआ और चक्कर आ सकता है। इससे न सिर्फ मां की सेहत पर असर पड़ सकता है, बल्कि बच्चे पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

गर्भावस्था में अन्य स्वास्थ्य समस्याएं:
अगर गर्भवती महिला को जेस्टेशनल डायबिटीज, एनीमिया या किसी अन्य स्वास्थ्य समस्या का सामना करना पड़ रहा है, तो ऐसे में इस प्रकार का व्रत रखना और भी खतरनाक हो सकता है। इस दौरान शरीर की इम्यूनिटी कमजोर हो सकती है और व्रत की वजह से स्वास्थ्य में और समस्याएं बढ़ सकती हैं।

क्या करें अगर व्रत रखना जरूरी हो:
अगर प्रेग्नेंट महिला फिर भी छठ व्रत रखना चाहती है, तो वे निम्नलिखित सावधानियां बरत सकती हैं…

पानी पीकर और फल खाकर व्रत रखें: बिना पानी के उपवास रखने की बजाय, गर्भवती महिलाएं पानी और फल खाकर व्रत रख सकती हैं। इससे शरीर को आवश्यक पोषक तत्व मिलते रहेंगे और डिहाइड्रेशन का खतरा भी कम होगा।
डॉक्टर से सलाह लें: व्रत रखने से पहले गर्भवती महिला को अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। डॉक्टर उनकी स्थिति के आधार पर सही मार्गदर्शन कर सकते हैं कि व्रत रखना उनके और बच्चे के लिए सुरक्षित होगा या नहीं।

छठ पूजा एक महत्वपूर्ण धार्मिक पर्व है, लेकिन गर्भवती महिलाओं के लिए यह व्रत कठिन और जोखिम भरा हो सकता है। इसलिए उन्हें इसे लेकर पूरी सावधानी बरतनी चाहिए। यदि वे व्रत रखना चाहती हैं, तो डॉक्टर से परामर्श के बाद ही इसे करना चाहिए और शरीर की सेहत का ध्यान रखते हुए ही इस धार्मिक अनुष्ठान में भाग लेना चाहिए।

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