लखनऊ। कोरोना संक्रमण बढ़ने के साथ-साथ मौतों का आंकड़ा भी बढ रहा है। ऐसे में अंतिम संस्कार से होने वाले खर्चों भी खुद परिवार को उठाना पड़ रहा है। जबकि सरकार की गलत नीतियों की वजह से मौतें हो रही है। ना तो अस्पताल में ऑक्सीजन मिल पा रहा और ना ही बेड। ऐसे में होने वाली मौतों का जिम्मेदार कौन है? ऐसी स्थिति में विपक्ष पार्टियां (कांग्रेस और बीजेपी) सरकार पर आरोप लगा रही है और कह रही हैं दिल्ली में प्रचार प्रसार में ना खर्च करके अगर स्वास्थ्य पर और अस्पतालों की सुधार में पैसा लगता, तो शायद आज दिल्ली की स्थिति अच्छी होती और लोगों की इतनी मौतें भी नहीं होती। इसलिए दिल्ली सरकार को कोविड से मरने वाले लोगों का दाह संस्कार का खर्चा खुद उठाना होगा।
ऑल इंडिया राहुल गांधी ब्रिगेड दिल्ली प्रदेश उपाध्यक्ष संत कुमार शुक्ला ने कहा कोविड मरीजों के अंतिम संस्कार के दौरान एंबुलेंस का खर्चा ही सबसे ज्यादा आ रहा है। उसके बाद शमशान में 31 सौ रुपये की लकड़ी की पर्ची और इसके अलावा दाह संस्कार के दौरान उपयोग में आने वाली सामग्रि 4 हजार रुपये तक होती है। फिर इसके बाद पीपीई किट की व्यवस्था भी परिजन करते हैं।
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कोरोना विधि से अंतिम संस्कार के लिए पिपीई किट अनिवार्य है। जो 1500 से 2,000 रुपये तक PPE किट में खर्च होते हैं। इस पूरी प्रक्रिया में कम से कम 9,000 रुपये तक का खर्च होता है। सवाल ये है कि जब राजस्थान समेत कई राज्यों में कोरोना से होने वाली मौतों में अंतिम संस्कार का खर्चा राज्य सरकार दे रही है। तो क्या अन्य राज्यों की तरह दिल्ली में कोविड मृतकों का अंतिम संस्कार का खर्चा दिल्ली सरकार नहीं उठा सकती।
वहीं जिला बाहरी दिल्ली भाजपा जिला महामंत्री मेवाराम राठौर कहते हैं। दिल्ली सरकार की गलत नीतियों की वजह से दिल्ली में मौतें हो रही हैं। अगर दिल्ली सरकार बैनर पोस्टर पर पैसा खर्च ना करके स्वास्थ्य विभाग पर पैसा खर्च करती, तो शायद आज जो कोरोना के कारण मौत हो रही है, वो नहीं होती। कोविड से मरने वाले लोगों के मौत का जिम्मेदार दिल्ली सरकार है। इसलिए दिल्ली सरकार को कोविड से मरने वाले लोगों के दाह संस्कार का खर्चा खुद उठाना होगा, नहीं तो भारतीय जनता पार्टी के लोग दिल्ली सरकार के खिलाफ आंदोलन करेंगे। क्योंकि उनकी गलत नीतियों की वजह से मौतें हो रही है।https://gknewslive.com