UP Maha Kumbh: प्रयागराज महाकुंभ में साढ़े पांच करोड़ रुद्राक्ष के साथ विशेष अनुष्ठान करने पहुंचे परमहंस पीठाधीश्वर शिवयोगी मौनी महाराज, जिन्हें लोग रुद्राक्ष बाबा के नाम से जानते हैं, ने मेला छोड़ दिया है। उनका कहना है कि मेला प्रशासन द्वारा पर्याप्त जमीन और सुविधाएं न मिलने से वह बेहद आहत हैं। मौनी बाबा ने मां गंगा को प्रणाम कर संगम की रेती को छोड़ दिया और दिल्ली रवाना हो गए।

दिल्ली में आमरण अनशन की धमकी:-
मेला छोड़ते वक्त मौनी बाबा बेहद भावुक नजर आए और उनकी आंखों में आंसू छलक पड़े। दिल्ली पहुंचकर उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय के बाहर आमरण अनशन करने की धमकी दी है। उनके इस कदम से मेला क्षेत्र में हड़कंप मच गया है। महाकुंभ, कुंभ और माघ मेले में श्रद्धालुओं के बीच आकर्षण का केंद्र बने रहने वाले रुद्राक्ष बाबा का अचानक जाना सभी को चौंका रहा है।

विशेष अनुष्ठान की योजना थी:-
मौनी बाबा ने बताया कि वह साढ़े पांच करोड़ रुद्राक्ष के जरिए एक महायज्ञ और अनुष्ठान करने आए थे। इस अनुष्ठान का उद्देश्य भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करने, सनातन धर्म को सशक्त बनाने, महाकुंभ को दिव्य और भव्य बनाने, देश की प्रगति, अयोध्या के बाद काशी-मथुरा में मंदिर निर्माण और बांग्लादेश में हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना था। उन्होंने मेला प्रशासन से अपने शिविर में द्वादश ज्योतिर्लिंगों की प्रतीकात्मक स्थापना, भगवान शिव की महाआरती, और गंगा तट पर दीपदान के लिए अधिक जमीन और सुविधाओं की मांग की थी। इसके लिए उन्होंने कई महीनों तक 10,000 घरों से रुद्राक्ष और पूजन सामग्री इकट्ठा की थी।

2019 से भी कम मिली सुविधाएं:-
मौनी बाबा के अनुसार, मेला अधिकारियों ने उन्हें पहले अधिक जमीन और सुविधाएं देने का वादा किया था, लेकिन इस बार उन्हें 2019 के मुकाबले भी कम जगह और सुविधाएं मिलीं। इतनी कम जगह में उनका अनुष्ठान करना संभव नहीं था। उन्होंने कई बार अपनी बात रखने की कोशिश की, लेकिन उनकी बात अनसुनी कर दी गई।

भोलेनाथ के परम भक्त रुद्राक्ष बाबा:-
शिवयोगी मौनी महाराज अपने शरीर पर कमर तक हजारों रुद्राक्ष धारण किए रहते हैं और हाथ में त्रिशूल लिए भोलेनाथ के प्रति अनन्य भक्ति का प्रदर्शन करते हैं। उनकी अनूठी साधना और बेबाक अंदाज उन्हें खास बनाते हैं। रुद्राक्ष बाबा के नाम से प्रसिद्ध मौनी महाराज का मेला छोड़ना श्रद्धालुओं के लिए निराशा का कारण बन गया है। मौनी बाबा ने कहा कि वह अब दिल्ली में अनशन करेंगे और अपनी मांगे पूरी होने तक शांत नहीं बैठेंगे। उनका कहना है कि आस्था और सनातन धर्म के संरक्षण के लिए इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर उठाने की जरूरत है।

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