दरअसल देहरादून से फतेहपुर के लिए सुभाष करीब 58 वर्षीय अपने पिता शिवपाल अपनी पत्नी अंजू और भाई राजोल के साथ लिंक एक्सप्रेस ट्रेन से मंगलवार की दोपहर चले थे। सुभाष अपने पिता समेत सभी लोगों ने ट्रेन में भोजन किया और अपनी-अपनी सीट पर जाकर लेट गए, जिसके बाद सुभाष ने अपने पिता शिवपाल को चंदौसी के करीब जगाया तो वह जागे नहीं। सोने से पहले उन्होंने सांस लेने में तकलीफ बताई थी। इस दौरान स्टेशन पर खाने के लिए दवा दी थी। बेटे द्वारा पिता को जगाने की कोशिश की गई। लेकिन उनकी मृत्यु हो चुकी थी। जिसकी सूचना पुलिस कंट्रोल रूम को दी गई। सुभाष ने बताया कि ट्रेन जब अलीगढ़ पहुंची तो रात के करीब 10 बजे उसके पिता शिवपाल के शव समेत सभी लोगों को ट्रेन से उतार लिया गया।
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सुभाष ने बताया कि उसके पिता को सांस लेने में दिक्कत हुआ करती थी। सुभाष अपने पिता के शव के लिए स्टेशन पर मौजूद अधिकारियों से एंबुलेंस मंगवाने को घंटों गुहार लगाता रहा। लेकिन देर रात तक उसे एंबुलेंस उपलब्ध नहीं कराई गई। मौके पर मौजूद पुलिसकर्मी ने हवाला दिया कि कोरोना काल चल रहा है। पहले टेस्ट कराया जाएगा। उसके बाद ही अन्य व्यवस्थाएं होंगी, जबकि 10 बजे से रात 1 बजे तक भी किसी डॉक्टर ने सुभाष के पिता की कोई जांच नहीं की। https://gknewslive.com