लखनऊ। उन्नाव जिले के बक्सर में गंगा तट पर मिले शवों पर तमाम तरह की टिप्पिणयां की जा रही हैं। इस पर विधानसभा अध्यक्ष हृदयनारायण दीक्षित ने कहा कि गंगा के इस तट पर अंत्येष्टि की परंपरा बहुत पुरानी है। अंत्येष्टि के तीन तरीके अपनाएं जाते रहे हैं। ज्यादातर शवों का अग्निदाह संस्कार होता रहा है। अब भी होता है। कम उम्र के लोगों व अविवाहित कन्याओं के लिए भूमि को समर्पित करने या जल में प्रवाहित करने की भी परंपरा है। गंगा जल को निर्मल बनाने के लिए शवों के जल प्रवाह को बंद करने का संकल्प भी 5-10 साल पुराना है।
श्री दीक्षित इसी क्षेत्र के सामाजिक राजनैतिक कार्यकर्ता व विधायक हैं। दीक्षित के अनुसार इस केन्द्र पर तीन जिलों से लगभग 100 कि0मी0 दूरी से अंत्येष्टि के लिए लोग आते रहे हैं। मेरा अपना गांव 65 कि0मी0 दूरी पर है। हमारे गांव के लोग भी अंत्येष्टि के लिए इसी तट पर अब भी लाए जाते हैं। इसी तरह रायबरेली व फतेहपुर जिले के लोग भी यहीं आते हैं। यहां तीन जिलों का संगम है। सामान्य दिनों में भी यहां प्रतिदिन 10-12 शवों की अंत्येष्टि होती रही है।


उन्होंने बताया कि लगभग 5-6 वर्ष पहले कानपुर के बिठूर घाट के पास गंगा में कुछ शव देखे गए थे। उस दफा भी बड़ा शोर हुआ था। यह शव सामान्य स्थिति में गंगा की धारा में बहाए गए थे। तब समाजवादी पार्टी की सरकार थी। इस पर कोई प्रभाव जांच निष्कर्ष उपलब्ध नहीं है। उन्नाव के ताजे मामले को मुख्यमंत्री योगी जी ने स्वयं गम्भीरता से लिया है। जिला प्रशासन सक्रिय है। सुनिश्चित किया गया है कि कोई भी व्यक्ति गरीबी या अभाव के कारण शव को गंगा में प्रवाहित न करें। अंत्येष्टि का व्यय सरकार उठाएगी।
दीक्षित ने अपील की है कि हम सब महामारी के इस हमले में कोरोना शिष्टाचार, मास्क और शारीरिक दूरी के अनुशासन का पालन करें। अफवाहों से सजग रहें।

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