World Cancer Day 2025: कैंसर का मतलब अब जीवन का अंत नहीं है। डॉक्टरों का कहना है कि समय पर इलाज शुरू करने से मरीज ठीक हो सकते हैं। कई ऐसे योद्धा हैं जिन्होंने अपनी इच्छाशक्ति और सही इलाज की मदद से इस बीमारी को मात दी है। दर्द से उबरने के बाद अब उनकी जिंदगी फिर से मुस्कुरा रही है।

हर महीने आ रहे 500 से ज्यादा नए मरीज:-
आगरा कैंसर सोसाइटी के अध्यक्ष डॉ. संदीप अग्रवाल के अनुसार, हर महीने लगभग 500-550 नए मरीज कैंसर का इलाज कराने आ रहे हैं। हालांकि, जागरूकता के बावजूद लगभग 70% मरीज तब आते हैं जब उनकी बीमारी अंतिम चरण में पहुंच चुकी होती है। यदि शुरुआती लक्षणों को पहचानकर समय पर इलाज शुरू कर दिया जाए तो कैंसर पूरी तरह ठीक किया जा सकता है। आंकड़ों के अनुसार, लगभग 20-25% मरीज पूरी तरह स्वस्थ जीवन जी रहे हैं।

तेजी से बढ़ रहे कैंसर के मामले:-
एसएन मेडिकल कॉलेज की कैंसर रोग विभागाध्यक्ष डॉ. सुरभि गुप्ता का कहना है कि तंबाकू और धूम्रपान के कारण कैंसर के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। पिछले साल 1864 नए मरीज सामने आए थे, जिनमें से:

60% को मुख कैंसर,
9-10% को ब्रेस्ट कैंसर,
8-9% को सर्वाइकल कैंसर,
5% को फेफड़े का कैंसर था।
इसके अलावा, कई मरीज पित्त की थैली, भोजन नली और बड़ी आंत के कैंसर से भी पीड़ित थे।

संघर्ष की प्रेरणादायक कहानियां:-
मीनू गुप्ता: दो घंटे की जिंदगी का अनुमान, लेकिन हौसले से जीती जंग:-
फिरोजाबाद की मीनू गुप्ता (43) ने 2009 में फेलोपिन ट्यूब कैंसर से जंग लड़ी। डॉक्टरों ने बताया था कि उनके पास सिर्फ एक-दो घंटे की जिंदगी बची है, लेकिन उन्होंने उम्मीद नहीं छोड़ी। इलाज जारी रखा और सकारात्मक सोच के साथ कैंसर को हराया। आज वह पूरी तरह स्वस्थ हैं और मरीजों को सलाह देती हैं कि वे इलाज से न भागें और हमेशा हिम्मत बनाए रखें।

मोहन अग्रवाल: बीमारी को नहीं छिपाया, इलाज से मिला नया जीवन:-

मोहन नगर के मोहन अग्रवाल (52) को मुख कैंसर हो गया था। डॉक्टरों ने जांच के बाद बीमारी की पुष्टि की। पहले वह घबरा गए, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। 2016 में उनका ऑपरेशन हुआ और लगातार इलाज लेते रहे। आज वे पूरी तरह स्वस्थ हैं और दूसरों को सलाह देते हैं कि बीमारी को छिपाने के बजाय डॉक्टर से तुरंत परामर्श लें।

इलाज और इच्छाशक्ति से कैंसर पर जीत संभव:-

डॉ. सुरभि गुप्ता बताती हैं कि कैंसर के मरीजों का इलाज कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी और ऑपरेशन से किया जाता है। मरीजों की काउंसिलिंग भी की जाती है, जिससे उनका आत्मविश्वास बना रहे। पौष्टिक आहार और मजबूत इच्छाशक्ति से भी बीमारी पर विजय पाई जा सकती है।

30-40 साल के युवा ज्यादा प्रभावित:-
एसएन मेडिकल कॉलेज के कैंसर सर्जन डॉ. वरुण अग्रवाल के अनुसार, ऑपरेशन कराने वाले मरीजों में ओरल, ब्रेस्ट और सर्वाइकल कैंसर के केस सबसे अधिक होते हैं। इनमें 50-60% मरीजों की उम्र 30-40 साल के बीच होती है। अधिकतर मरीज तीसरी स्टेज में पहुंचने के बाद ही इलाज के लिए आते हैं, जिससे जटिलताएं बढ़ जाती हैं।

कैंसर के लक्षण जिन्हें नजरअंदाज न करें:-

मुंह का ठीक से न खुलना, छाले या घाव ठीक न होना।
मुंह में सफेद या लाल धब्बे होना।
भोजन निगलते समय दर्द होना।
स्तन में बिना दर्द वाली गांठ या कांख में गांठ बनना, रंग लाल होना।

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