Mahashivratri 2025: महाशिवरात्रि इस वर्ष 26 फरवरी को मनाई जाएगी। शिवपुराण के अनुसार, इस दिन भगवान शिव शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए थे ताकि ब्रह्मा और विष्णु के बीच चल रहे विवाद को समाप्त किया जा सके। यह घटना फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि को हुई थी, इसी कारण इस दिन महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 26 फरवरी को प्रातः 11:08 बजे से प्रारंभ होकर 27 फरवरी को सुबह 8:54 बजे तक रहेगी। इस दिन निशीथ काल में भगवान शिव की पूजा विशेष रूप से फलदायी मानी जाती है। वहीँ इस वर्ष की महाशिवरात्रि अत्यंत विशेष मानी जा रही है क्योंकि इस दिन सूर्य, बुध और शनि एक साथ कुंभ राशि में स्थित रहेंगे। यह दुर्लभ संयोग लगभग 149 वर्षों बाद बन रहा है, जो भक्तों के लिए विशेष रूप से शुभ रहेगा।
महाशिवरात्रि पर ग्रहों का अनोखा संयोग:-
शुक्र इस दिन मीन राशि में उच्च स्थिति में रहेगा और इसके साथ राहु भी स्थित रहेगा, जिससे शुभ योग बनेगा।
सूर्य और शनि कुंभ राशि में रहेंगे। कुंभ राशि शनि की अपनी राशि है, जबकि सूर्य शनि के पिता माने जाते हैं, जिससे यह संयोग विशेष प्रभावशाली होगा।
मीन राशि में शुक्र अपने शिष्य राहु के साथ होगा, वहीं कुंभ राशि में पिता-पुत्र (सूर्य-शनि) का संयोग रहेगा।
इस प्रकार का संयोग पिछली बार 1873 में बना था, जब महाशिवरात्रि भी बुधवार के दिन पड़ी थी।
इस बार महाशिवरात्रि 26 फरवरी को आएगी, जब धनिष्ठा नक्षत्र, परिघ योग, शकुनी करण और मकर राशि में स्थित चंद्रमा का संयोग रहेगा।
ग्रहों के दुर्लभ संयोग का प्रभाव:-
यह विशेष ग्रह योग शिव भक्ति और साधना के लिए अत्यंत फलदायी रहेगा।
मान्यता है कि इस संयोग में की गई शिव आराधना से मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण होती हैं।
कुंडली से जुड़े ग्रह दोष दूर करने और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाने का यह उत्तम अवसर है।
सूर्य-बुध का केंद्र त्रिकोण योग प्रतिष्ठा एवं आत्मविश्वास बढ़ाने में सहायक रहेगा।
आध्यात्मिक लाभ:-
इस महाशिवरात्रि पर शिव पूजा, रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय जाप और अन्य धार्मिक अनुष्ठान करने से विशेष लाभ मिल सकता है। इस दुर्लभ संयोग में की गई भक्ति जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकती है।
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