लखनऊ। नेडा द्वारा विभूतिखंड थाने में दर्ज कराए गए केजीएमयू में 57 लाख रुपये के एलईडी लाइट घोटाले में त्रिस्तरीय गठजोड़ पाया गया है। जांच के दौरान खुलासा हुआ कि नेडा के परियोजना कार्यालय, केजीएमयू के इंजीनियर और लाइट आपूर्ति करने वाली फर्म के गठजोड़ से घोटाले को अंजाम दिया गया। अगर ठीक से जांच हुई तो इस गठजोड़ के कई बड़े अफसर घोटाले में फंसेंगे।

बता दें कि यूपी नेडा की ओर से सरकारी संस्थाओं में एलईडी लाइट लगाने के नाम पर कोलकाता की मेसर्स धनश्री इलेक्ट्रिक लिमिटेड के खिलाफ करीब 57 लाख रुपये के ठगी का मुकदमा पंजीकृत कराया गया। इंस्पेक्टर चंद्रशेखर सिंह का कहना है कि यूपी नेडा ने सरकारी संस्थाओं में एलईडी लाइट लगाने के लिए कोलकाता के जेपी प्लांट स्थित मेसर्स धनश्री इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड साल्टेक इलेक्ट्रिक कांप्लेक्स का ठेका दिया गया था। वर्ष 2017 में केजीएमयू में करीब 2435 एलईडी लाइट लगाई थी। इसके बावजूद न तो यहां माल की आपूर्ति की गयी और न ही इन्हें लगाया गया। इसके बाद कंपनी की तरफ से फर्जी बिल बनाकर माल की आपूर्ति स्थापना और कमिशनिंग दिखाकर करीब 50 फीसदी भुगतान करवा लिया गया। जब मौके पर देखा गया तो कोई भी काम नहीं किया गया था। पुलिस ने पूरे मामले की जांच शुरू कर दी है।

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कई रसूखदरों को बचाया गया
केजीएमयू में लाइट घोटाला पकड़ में आने के बाद यूपी नेडा की टीम ने अलग से पूरे मामले की जांच की थी। जांच टीम में वित्त और लेखाधिकारी सुधांशु कुमार धीमान, परियोजना अधिकारी हरनाम सिंह व अशोक श्रीवास्तव एवं अनिल दास शामिल थे। जांच में
त्रिस्तरीय गठजोड़ का खुलासा हुआ था। बीते 26 अक्तूबर 2020 को रिपोर्ट निदेशक को सौंपी गई थी। जांच रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर केजीएमयू के इंजीनियर के साथ ही एलईडी लाइट आपूर्ति करने वाली फर्म और नेडा परियोजना कार्यालय के कर्मियों को जिम्मेदार माना गया था। बावजूद इसके नेडा ने सिर्फ फर्म के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया और अन्य रसूखदार लोगों को बचा लिया गया।

2624 के सापेक्ष सिर्फ 11 लाइटें लगीं
जांच में इस बात का भी खुलासा हुआ कि केजीएमयू में लाइट लगाने के लिए स्थल उपलब्ध नहीं होने के बावजूद यूपी नेडा परियोजना कार्यालय के कर्मियों ने वहां दोबारा 36 वॉट की 2311 लाइटों की आपूर्ति कर दी। यह लाइटें लगाई नहीं गईं। परियोजना कार्यालय ने फर्म के बिल के भुगतान के लिए संस्तुति दे दी जबकि उनका स्थलीय सत्यापन नहीं किया गया। बाद में पता चला कि 2624 एलईडी लाइटों में सिर्फ 11 ही लगाई गईं हैं।

ये है पूरा मामला
केजीएमयू में पांच अक्तूबर को ट्रक में लदी एलईडी लाइटें पकड़ी गई थीं। जांच में पता चला कि यूपी नेडा की परियोजना कार्यालय ने केजीएमयू में कुल 90 लाख की लाइटें भेजी थीं। इसमें से सिर्फ 11 लगाई गईं। ट्रक में पकड़ी गई करीब 30 लाख की लाइटें वही थीं जो नेडा द्वारा केजीएमयू भेजी गईं थीं। पूरे मामले की जांच के बाद केजीएमयू के सिविल इंजीनियर विद्युत एसपी सिंह को निलंबित कर दिया गया था।https://gknewslive.com

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