लखनऊ। यूपी के आगरा जिले में एक बेरोजगारी का मंजर देखने को मिली। जिसे देख और सुनकर किसी भी आंखे भर आये। बता दें कोरोना महामारी के कारण आर्थिक तंगी से जूझ रहे एक पति-पत्नी के पास घर लौटने तक के पैसे नहीं थे। इसलिए उन्होंने दिल्ली से आगरा पैदल जाने का फैसला किया। पैदल आगरा तक पहुंचते ही पत्नी की हालत इतनी ज्यादा खराब हो गई कि महिला को तुरंत ही अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।

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दरअसल, मध्यप्रदेश के भोपाल जिले का रहने वाला रमेश आदिवासी, अपनी पत्नी किरण के साथ दिल्ली में मजदूरी करता था। वह दिल्ली की निर्माणाधीन इमारतों में पत्थर लगाने का काम करता था। कोरोना की पहली लहर में आर्थिक मंदी के दौरान उसके सुपरवाइजर ने उसका पूरा साथ दिया। उन्होंने किसी तरह दिल्ली में रह कर अपने दिन काटे। वो अपने मानदेय से कुछ रुपये बचाकर, गांव में परिवार को भेजता था। लेकिन कोरोना की दूसरी लहर ने उसके मददगार सुपरवाइजर की जान ले ली। इसके बाद कंपनी ने रमेश को उसकी बाकी मजरी नहीं दी और रुपये न होने के कारण उसे घर वापस लौटने का फैसला करना पड़ा। उसके पास इतने रुपये भी नहीं थे कि वो अपना और अपनी पत्नी का ट्रेन या बस का टिकट ले सके। हालात से परेशान रमेश और उसकी पत्नी पैदल ही दिल्ली से आगरा के लिए चल दिए। दोनों 8 दिन में करीब 200 किलोमीटर पैदल चले और आगरा पहुंचे। भीषण गर्मी और भूख से परेशान पत्नी की आगरा पहुंचते ही रमेश की पत्नी किरण के पेट में तेज दर्द था। राहगीरों ने उसे आगरा स्थित एसएन मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी तक पहुंचाया लेकिन अस्पताल के स्टाफ ने उससे 300 रुपए की मांग की। पैसे न होने के कारण रमेश, अपनी पत्नी को लेकर घंटों एमजी रोड पर बैठा रहा। राहगीरों द्वारा सूचना मिलते ही मौके पर पहुंची पुलिस पीड़ित किरण को एसएन मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया।https://gknewslive.com

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