हाथ जोड़कर विनय हमारी, तजो नशा बनो शाकाहारी, छोड़ो व्यभिचार बनो ब्रह्मचारी, सतयुग लाने की करो तैयारी: बाबा उमाकांत जी ने बताया इसका अर्थ
धर्म-कर्म : बने तो गुरु से बने नहीं तो बिगड़े भरपूर, स्वामी बने जो और से, उस बनने पर धूल – गोस्वामी जी के इस वचन को चरितार्थ और साकार…