लखनऊ। सोरइसिस एक ऐसा त्वचा रोग है, जो आॊटो इम्यून डिसआर्डर है। कई बार लगातार इलाज के बावजूद कुछ असावधानियों की वजह से यह लंबे समय तक रोगी को परेशान करता है। अगर सही तरीके से इलाज कराया जाये, तो इस रोग से भी छुटकारा पाया जा सकता है। आइए हेल्थ एक्सपर्ट से जानते हैं सोराइसिस के बारे में तीन भ्रांतियां(गलतफहमी) और बीमारी से छुटकारा पाने के उपाय।

पहली गलतफहमीः सराइसिस संक्रामक रोग है
सराइसिस आनुवांशिक है, लेकिन यह पर्यावरण संबंधी कारकों से भी हो सकता है। यह रोग दरअसल हमारी रोग प्रतिरोधक प्रणाली को एकाएक बहुत ज्यादा सक्रिय कर देता है। हमारे इम्यून सेल हमारी ही त्वचा के सेल्स पर हमला बोल देते हैं। परिणाम सूजन और चकत्ते। सराइसिस संक्रामक रोग नहीं है और रोगी के संपर्क में आने से नहीं फैलता।

सामान्य तौर पर बात की जाए तो सराइसिस को दो भागों में बांटा जा सकता है-
फुंसियों वाला त्वचा रोग (पस्चलर सराइसिस), जिसमें मरीज के शरीर पर गैर-संक्रामक फुंसियां हो जाती हैं जिनके इर्द-गिर्द त्वचा लाल धब्बेदार हो जाती है। इस किस्म का सराइसिस आमतौर पर पैरों और हथेलियों पर हमला बोलता है। यह खुजली वाला या दर्दनाक भी हो सकता है।

दूसरा प्रकार है बगैर फुंसियों वाला त्वचा रोग (नॉन-पस्चलर सराइसिस)। लेकिन इस श्रेणि के भी अलग-अलग प्रकार हैं-
80 से 90 फीसदी मामले सराइसिस वल्गारिज के होते हैं जिसे प्लैक सराइसिस भी कहा जाता है, इसमें मरीज की दर्द और सूजन भरी त्वचा पर लाल-सफेद दाग-धब्बे) उभर आते हैं।

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सराइसिस एरिथ्रोडर्मा कम पाया जाता है। इसमें स्किन पर सूजन और पपड़ी देखी जाती है। इस तरह का सराइसिस शरीर के लिए घातक हो सकता है क्योंकि तापमान नियंत्रण और बाहरी हमलों को रोकने की ताकत को त्वचा खो देती है।

दूसरी गलतफहमीः सराइसिस महज त्वचा रोग है
कोमोर्बाइडिटिज या सराइसिस के साथ होने वाले रोगों में हाई ब्लडप्रेशर, कार्डियोवेस्कुलर डिसीज, मोटापा, मधुमेह और सराइसिस आर्थराइटिस शामिल हैं। इनमें से सराइटिक आर्थराइटिस सबसे आम है।

एक अनुमान के मुताबिक सराइसिस से पीड़ित लोगों में से 10 से 30 प्रतिशत लोगों को सराइटिक आर्थराइटिस होता है। इसमें जोड़ों में दर्दनाक सूजन होती है जो आर्थराइटिस के अन्य प्रकारों की तुलना में कम हो सकती है, लेकिन परेशान करने वाली होती है। इस तरह के आर्थराइटिस में जोड़ों के अलावा हडि्डयों को जोड़ने वाले टिश्यू में भी सूजन आ जाती है। त्वचा के अलावा सराइसिस नाखूनों पर भी पाया जाता है। ऐसी हालत में नाखूनों का रंग गायब होना, नाखूनों का गिरना देखा जाता है। साथ में नाखून के नीचे की त्वचा भी मोटी हो जाती है।

तीसरी गलतफहमीः सराइसिस दवा से ठीक किया जा सकता है
सराइसिस जिंदगी भर चलने वाली लंबी बीमारी है जिसकी निगरानी कर कुछ ओरल ड्रग्स के कॉम्बिनेशन, कुछ मलहम और जीवनशैली परिवर्तन से नियंत्रण में रखा जा सकता है। आपका डॉक्टर आपको खुजली और सूजन जैसे लक्षणों पर नियंत्रण के लिए सेलिसिलिक एसिड, टॉपिकल रेटिनॉइ़ड्स या विटामिन डी एनालॉग लेने की सिफारिश कर सकता है। त्वचा को नम रखना भी जरूरी है। डॉक्टर अब इलाज के लिए लाइट थैरेपी और इम्युनोमॉ़ड्यूलेटर्स के विकल्प पर भी विचार कर रहे हैं। सराइसिस के मरीजों में मोटापे के साथ अन्य रोगों का बहुत खतरा होता है। इसलिए उनके लिए एक स्वस्थ जीवनशैली और भरपूर एक्सरसाइज, संतुलित पोषक आहार महत्वपूर्ण होता है।https://gknewslive.com

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