लखनऊ। सबसे संक्रामक किलर डिजीज में से एक टीबी को लेकर एक चौंकाने वाली बात सामने आई है। आमतौर पर खांसने से फैलने वाला फेंफड़ों का ये संक्रमण, अब सांस लेने से भी फैल सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक, साउथ अफ्रीका के रिसर्चर्स का कहना है कि, ‘खांसने से ही नहीं, बल्कि सांसों से भी टीबी का संक्रमण फैल सकता है।’ बता दें कि अब तक खांसने को ही टीबी के फैलने का सबसे बड़ा जरिया माना जाता रहा है। रिसर्च में पाया गया कि टीबी के 90 प्रतिशत बैक्टीरिया सांस के दौरान निकलने वाले एयरोसोल या छोटे ड्रापलेट से फैल सकते हैं।
बता दें कि कोरोनावायरस के फैलने को लेकर भी इस तरह की रिसर्च सामने आ चुकी है। संक्रमण फैलने का यह तरीका ही जेल एवं ऐसी ही अन्य बंद जगहों पर महामारी के तेज प्रसार का कारण बना था। रिसर्च में ये भी सामने आया है कि खांसी के दौरान निकले ड्रापलेट की तुलना में सांसों से निकले एयरोसोल ज्यादा समय तक हवा में रह सकते हैं और ज्यादा दूर तक जा सकते हैं। इन नतीजों को देखते हुए साइंटिस्टों ने टीबी की जांच और इससे निपटने के लिए भी कोरोना की तर्ज पर अभियान चलाने को कहा है।
बंद जगहों पर संक्रमण का ज्यादा खतरा
इस बात में कोई संदेह नहीं कि खांसते समय ज्यादा बैक्टीरिया बाहर आते हैं, लेकिन सांसों से संक्रमण फैलने की गंभीरता को एक उदाहरण से समझ सकते हैं। यदि कोई संक्रमित व्यक्ति दिनभर में 22,000 बार सांस लेता है और करीब 500 बार खांसता है। ऐसे में कुल बैक्टीरिया की तुलना में खांसने से मात्र 7 प्रतिशत बैक्टीरिया ही फैलेंगे। इसलिए किसी बस या स्कूल के कमरे में, जहां लोग साथ में लंबा वक्त बिताते हैं, वहां सांसों से बहुत ज्यादा संक्रमण फैल सकता है।’
दुनिया का दूसरा सबसे जानलेवा संक्रमण
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, कोरोना महामारी के बाद टीबी ही दुनिया में सबसे जानलेवा संक्रमण है। पिछले साल टीबी से 15 लाख लोगों की जान गई थी। कोरोना लॉकडाउन के चलते 10 सालों में पहली बार मृतकों की संख्या बढ़ी है। 2020 में 58 लाख लोगों में टीबी संक्रमण का पता चला।डब्ल्यूएचओ का अनुमान है कि संक्रमितों की वास्तविक संख्या एक करोड़ के करीब है। इनमें से ज्यादातर अनजाने में ही दूसरों को संक्रमित कर रहे हैं।https://gknewslive.com