लखनऊ। ब्रेन ट्यूमर बहुत ही घातक बीमारी है। हालांकि सभी ब्रेन ट्यूमर कैंसर वाला ट्यूमर नहीं होता है। ब्रेन ट्यूमर में कोशिकाएं दिमाग में एक ही जगह संग्रह होने लगती है। जब ट्यूमर का आकार बढ़ता है तो दिमाग के अंदर अतिरिक्त दबाव पड़ता है। इससे दिमाग की तंत्रिका तंत्र पर असर पड़ता है। यह मस्तिष्क को क्षति पहुंचा सकता है और मामला गंभीर होने पर शरीर के अन्य हिस्सों तक भी पहुंच सकता है। इतनी खतरनाक बीमारी को खत्म करने की दिशा में अब एक अच्छी खबर आई है। एक हालिया रिसर्च में दावा किया गया है कि अगर किसी को ब्रेन ट्यूमर है तो उसका इलाज एचआईवी एड्स के उपचार में काम करने वाली दवाइयों से किया जा सकता है।
एंटी रेट्रोवायरल दवा से इलाज
प्राइमरी ब्रेन ट्यूमर का इलाज एचआईवी एडस की दवा से किया जा सकता है। जब ट्यूमर सिर्फ ब्रेन तक ही सीमित रहे तो उसे प्राइमरी ब्रेन ट्यूमर कहा जाता है। लेकिन जब ट्यूमर ब्रेन से शरीर के अन्य हिस्सों में भी पहुंच जाए तो उसे सेकेंडरी ब्रेन ट्यूमर कहा जाता है। आमतौर पर सेकेंडरी ब्रेन ट्यूमर घातक होता है। यह शोध कैंसर रिसर्च जर्नल में प्रकाशित हुआ है। यह रिसर्च बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि शोध का परिणाम बहुत ही निर्णायक आया है। अगर सब कुछ सही रहा तो मेनिंगिओमा और एक्यूजिस्टिक न्यूरोमा ब्रेन ट्यूमर के लिए एंटी रेट्रोवायरल दवाओं को इलाज के लिए लिखा जा सकता है।
वर्तमान में बहुत कम इलाज
मेनिंगिओमा और एक्यूजिस्टिक न्यूरोमा ब्रेन ट्यूमर बहुत ही दुर्लभ बीमारी है जिनका बहुत ही कम इलाज है। आमतौर पर यह रेडियोथेरेपी या सर्जरी के कारण होती है। मेनिंगिओमा ब्रेन ट्यूमर के सबसे शुरुआती चरण का आम रूप है। हालांकि यह लो ग्रेड वाला ब्रेन ट्यूमर होता है लेकिन समय के साथ यह कैंसर में बदल सकता है। यह मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी की रक्षा करने वाली मेनिन्जेस में स्थित कोशिकाओं से विकसित होता है। एक्यूजिस्टिक न्यूरोमा एक अलग प्रकार का ब्रेन ट्यूमर है। यह भी कैंसर वाला ब्रेन ट्यूमर नहीं है। यह श्वान कोशिकाओं से विकसित होता है। ये कोशिकाएं तंत्रिका तंत्र की रक्षा करती हैं। दोनों ट्यूमर कभी भी हो सकते हैं। आमतौर पर यह वयस्कों को होता है। कुछ मामलों में यह वंशानुगत भी हो सकता है। https://gknewslive.com