लखनऊ। यूक्रेन और रूस के बीच घमासान को लेकर नाटो भी चर्चा का विषय बना हुआ है। यूक्रेन के राष्ट्रपति ने वलोडिमिर जेलेंस्की ने अमेरिका के साथ-साथ नाटो पर भी धोखा देने का आरोप लगाया है। माना जा रहा था कि इस जंग में यूएस और NATO यूक्रेन का साथ देंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। वहीं, रूस का कहना है कि यदि यूक्रेन नाटो का हिस्सा बनने की जिद छोड़ देता तो शायद उसका ये हाल नहीं होता। इसी कड़ी में यह जानना भी जरूरी है कि आखिर नाटो है क्या और क्यों रूस उससे इतना चिढ़ता है।
इस बात से नाराज है Russia
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का दावा है कि पश्चिमी देश नाटो का इस्तेमाल रूस के इलाकों में घुसने के लिए कर रहे हैं। पुतिन चाहते हैं कि NATO पूर्वी यूरोप में अपनी सैन्य गतिविधियां रोक दे। उनका कहना है कि अमेरिका ने 1990 में किया वो वादा तोड़ दिया है जिसमें नाटो के पूर्व की तरफ नहीं बढ़ने की बात कही गई थी, लेकिन अमेरिका का कहना है कि उसने कभी ऐसा कोई वादा नहीं किया। उधर, नाटो का कहना है कि उसके कुछ सदस्य देशों की सीमाएं ही रूस से लगी हैं और ये एक सुरक्षात्मक गठबंधन हैं।
क्या है नाटो?
रूस और नाटो के बीच विवाद के बारे में जानने से पहले आपको बताते हैं कि आखिर नाटो क्या है। नाटो कुछ देशों का एक इंटरगवर्नेंट मिलिट्री संगठन है। इसका मकसद साझा सुरक्षा नीति पर काम करना है। जैसे मान लीजिए अगर किसी नाटो देश पर कोई दूसरा देश हमला करता है, तो पूरे नाटो के देश प्रभावित देश के साथ खड़े हो जाते हैं और उसकी मदद करते हैं। इसका पूरा नाम नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन (NATO) है। https://gknewslive.com