लखनऊ। यूपी में कमर तोड़ती महंगाई ने सबके पसीने छूटा दिए है। एक गरीब परिवार को ऐसे में गुजारा कर पाना मुश्किल होता जा रहा है वहीं इसका असर सरकारी प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को मिड-डे मील के तहत खाने की व्यवस्था में भी देखने को मिल रहा। फिर भी सरकारी स्कूलों के बच्चों को आज भी दो साल पुरानी कीमतों पर भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है।

शिक्षकों के मुताबिक, अरहर की दाल से लेकर सरसों के तेल, सब्जियों तक के रेट आसमान छू रहे हैं। गैस सिलेंडर के बढ़ते दाम आम आदमी के पसीने छुड़ा रहा है। उन्होंने बताया कि महंगाई बढ़ने से सीधा असर खाने की गुणवत्ता पर पड़ रहा है। इसके चलते कई बार तहरी से सब्जी गायब होने की शिकायतें मिलती हैं तो कई बार गुणवत्ता सही न होने की बात सामने आती है।

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बता दें यूपी में बेसिक शिक्षा परिषद के अधीन 1 लाख 33 हजार 598 स्कूलों का संचालन किया जाता है। इनमें, करीब 1.65 करोड़ बच्चों को मिड-डे मील उपलब्ध कराने की व्यवस्था है। इसके अलावा, सरकारी/राजकीय, मकतब/मदरसा और विशेष प्रशिक्षण केंद्र (बाल श्रमिक विद्यालय) के बच्चों को भी मिड-डे मील उपलब्ध कराया जाता है। कुल मिलाकर रोजाना 1.86 करोड़ बच्चों के लिए मिड-डे मील की व्यवस्था की जाती है। खाना बनाने के लिए सरकार की तरफ से कनवर्जन कास्ट दी जाती है। हर दिन का मेन्यू तय है। उसके आधार पर ही बच्चों को खाना उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है। https://gknewslive.com

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