लखनऊ: उत्तर प्रदेश के ऊपरी सदन में समाजवादी पार्टी मुख्य विपक्षी पार्टी का दर्जा भी नहीं बचा पाई है। सदन में उसके नेता लाल बिहारी यादव से सभापति ने विपक्ष के नेता पद की मान्यता छीन ली है। यह वैसी ही स्थिति है, जैसा पिछले दो कार्यकालों से लोकसभा में कांग्रेस के साथ हो रहा है। लेकिन, सपा को सभापति के इस फैसले पर भरोसा नहीं है और उसने आरोप लगाया है कि सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी ‘लोकतंत्र की हत्या’ करने में लगी हुई है। उसने इस मसले को अदालत में ले जाने की भी धमकी दी है।
यूपी विधान परिषद में मुख्य विपक्षी पार्टी नहीं रही सपा
यूपी विधान परिषद में समाजवादी पार्टी से विपक्ष के नेता का पद छीन लिया गया है। दरअसल, 100 सदस्यीय ऊपरी सदन में अब सपा के सिर्फ 9 विधान पार्षद रह गए हैं। जबकि विपक्ष के नेता का पद पाने के लिए पार्टी को कम से कम कुल सदस्यों का 10 प्रतिशत विधान पार्षद होना चाहिए। प्रिंसिपल सचिव राजेश सिंह की ओर से दिए गए एक बयान के मुताबिक 27 मई को विधान परिषद में सपा के 11 सदस्य थे और वह सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी थी। इसी आधार पर पार्टी के एमएलसी लाल बिहारी यादव को विपक्ष के नेता के तौर पर मान्यता दी गई थी।