उत्तर प्रदेश : उत्तर प्रदेश में एक बार फिर शुरू हुई सियासी गठजोड़। प्रसपा संस्थापक शिवपाल सिंह यादव और पूर्व सांसद डीपी यादव ने शुरू की यादवों को एक साथ लाने की मुहीम। मिडिया रिपोर्ट्स की माने तो, दोनों नेता सपा और भाजपा से अलग-थलग किये गए नेताओं को एक साथ लेकर अपनी सियासी ताकत बढ़ाने में लगे है। दोनों नेता एक जुट होकर यादवों की मोर्चाबंदी करेंगे। बृहस्पति वार से शुरू हो रहे प्रसपा के इस मिशन से सपा और भाजपा दोनों को ही भारी नुकसान होने की आशंका है। आज होने वाली इस बैठक में प्रदेश के करीब 250 यादव नेताओं को बुलावा भेजा गया है।
अब ये कहा जा सकता है कि मुलायम सिंह यादव ने सभी यादवों को सपा के झंडे तले लाने में जितनी मेहनत की थी उतनी ही आसानी से इस नई पीढ़ी ने सबकुछ बिगाड़ दिया है। बदलती राजनीती के साथ ही रिश्तों में भी बदलाव हुआ और चाचा शिवपाल ने प्रसपा तो वहीं पूर्व सांसद डीपी यादव ने राष्ट्रीय परिवर्तन दल बनाया और सपा से अलग हो गए। लेकिन एक बार फिर विधानसभा चुनाव में चाचा भतीजे एक साथ आये और शिवपाल को सपा विधायक बनने का मौका मिला।
लेकिन कहते है न की शब्दों के बाण भले ही दिखाई न दें पर घाव गहरा करते। कुछ ऐसा ही हुआ अखिलेश यादव और शिवपाल यादव के बीच जिसके बाद प्रसपा अध्यक्ष ने सपा के साथ आपने सारे रिश्ते तोड़ लिए और आगे बढ़ गए।
राजनितिक विशेषज्ञों की मने तो प्रसपा संस्थापक शिवपाल सिंह यादव और पूर्व सांसद डीपी यादव ने 2024 में होने वाले चुनाव को ध्यान में रखते हुए साथ आने का फैसला किया है। कयास तो ये भी लगाए जा रहे है की, शिवपाल सिंह यादव भाजपा और सपा की और जा रहे नेताओं को अपनी और खींचने की रणनीति बना रहे है। यदुकुल पुनर्जागरण मिशन का नेतृत्व कर रहे शिवपाल यादव एक बार फिर सभी को एक मंच पर लाने की कोशिश में जुटे हुए हैं।
यादवों को एक जुट करने के इस मिशन की बैठक में डीपी यादव, बालेश्वर यादव, सुखराम यादव, मुलायम सिंह के समधी हरिओम यादव सहित तमाम पूर्व सांसद व पूर्व विधायक इकट्ठा होंगे। अब देखना ये होगा , भाजपा और सपा के वोट बैंक में सेंधमारी करने का यह मिशन कितना कारगर साबित होता है।
(ब्यूरो रिपोर्ट जी.के. न्यूज़)