Politics: लखनऊ में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा, “14 अप्रैल को बाबा साहेब की जयंती पर मैं उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करती हूं। उन्होंने संविधान के माध्यम से देश के हर नागरिक को जरूरी कानूनी अधिकार दिलवाए।”
मायावती ने कहा कि डॉ. अंबेडकर के सिद्धांतों को आगे बढ़ाते हुए कांशीराम जी ने 14 अप्रैल 1984 को बहुजन समाज पार्टी की स्थापना की थी, ताकि दलित, पिछड़े और अन्य उपेक्षित वर्गों को राजनीतिक मंच मिल सके। उन्होंने यह भी कहा कि बाबा साहब के धर्म परिवर्तन को कुछ जातिवादी मानसिकता वाले लोग सनातन धर्म से जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, जो अनुचित है।
वक्फ कानून पर केंद्र सरकार से पुनर्विचार की मांग:-
वक्फ कानून पर बोलते हुए मायावती ने कहा, “इस कानून में गैर-मुस्लिम व्यक्ति को भी शामिल करने का प्रावधान किया गया है, जो उचित नहीं लगता। मुस्लिम समाज इसका विरोध कर रहा है। केंद्र सरकार को चाहिए कि वह इस कानून को फिलहाल स्थगित कर उस पर दोबारा विचार करे। यह बसपा की मांग है। आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई पर बात करते हुए मायावती ने कहा, “देश की सुरक्षा के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को चाहिए कि वे अपने राजनीतिक स्वार्थों से ऊपर उठकर आतंकियों के खिलाफ निष्पक्ष, ईमानदार और सख्त कानूनी कार्रवाई करें।”
एक्स (पूर्व ट्विटर) पर मायावती का बयान:-
इससे पहले मायावती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “बाबा साहब को भारत रत्न से सम्मानित किए जाने के बावजूद कांग्रेस, बीजेपी और सपा जैसी पार्टियों का रवैया दलित और बहुजन समाज के प्रति हमेशा जातिवादी और उपेक्षापूर्ण रहा है। इन्हीं कारणों से बसपा का गठन हुआ। अब ये पार्टियाँ बहुजन समाज के वोट के लिए केवल दिखावा कर रही हैं।”