लखनऊ : राष्ट्रीय मत्स्य आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो, लखनऊ में तीन दिवसीय ‘सामुदायिक विकास, पारंपरिक ज्ञान प्रबंधन के विषय में जागरूकता’ पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन संस्थान के निदेशक डॉ. उत्तम कुमार सरकार ने किया। निदेशक ने कहा कि संसाधनों के बारे में पारंपरिक ज्ञान वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक संपत्ति है।और सामाजिक समुदायों के बीच इसकी भविष्य की उपयोगिता को देखते हुए वैज्ञानिक विश्लेषण, और प्रभावी संचार के माध्यम से, हमारी मत्स्य प्रजातियों के बारे में भी ऐसे पारंपरिक ज्ञान के लिए एक डेटाबेस बनाने की आवश्यकता है।
वहीं भारतीय सांख्यिकी संस्थान, कोलकाता के वैज्ञानिक डॉ. बैद्य नाथ पाल ने ‘सांख्यिकीय तकनीकों और मत्स्य आनुवंशिक संसाधनों में अनुप्रयोगों’ पर उद्घाटन वार्ता में डेटाबेस की की जरूरत पर अपने विचार व्यक्त किए। डॉ. अचल सिंह, प्रधान वैज्ञानिक एवं नोडल एचआरडी, ने पारंपरिक ज्ञान डिजिटल लाइब्रेरी के बारे में चर्चा की, और भगवद गीता के दिव्य संदेश के बारे में बताया कि अभी भी ईश्वर ने जीवित चीजों में अपना विश्वास नहीं खोया है, क्योंकि नए शिशुओं के सृजन की प्रक्रिया उसी तरह चल रही है। और उनके पालन-पोषण में मददगार पौधे और जीव के सृजन की प्रक्रिया भी निरन्तर जारी है। डॉ. राघवेंद्र सिंह, वैज्ञानिक द्वारा गंगा एक्वेरियम में सजावटी मछलियों द्वारा तनाव कम करने जैसी अन्य उयोगिताओं के बारे में, प्रशिक्षुओं को बताया।
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दूसरे दिन श्री डी. के. वर्मा ने ‘कार्यस्थल पर नैतिक मूल्य’ विषय पर एक प्रेरक वार्ता में भारत के राष्ट्रपति बनने वाले एक सामान्य मछुआरे-परिवार के व्यक्ति के संघर्ष और उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए प्रशिक्षुओं को प्रेरित करते हुए कहा कि निरंतर अच्छे प्रदर्शन, उच्च भावनात्मक गुणांक एवं नैतिकता व्यक्ति को एक बेहतर कर्मचारी में परिवर्तित करती है जो संगठनों के लिए उच्च उत्पादक मानव संसाधन सृजित करने में मदद करता है। श्री. रवि कुमार ने फ्रॉड कॉल, केवाईसी-कॉल, ओटीपी अनुरोध आदि का जिक्र करते हुए साइबर सुरक्षा के बारे में जागरूकता पर बात की। तीसरे दिन प्रेरक वक्ता अमन गुप्ता ने अपने व्याख्यान में इस बात पर प्रकाश डाला कि कोविड-19 के बाद चीजें बदलते परिदृश्य में न्यू नॉर्मल की तरह व्यवहार कर रही हैं। तथा सभी को बदले हुए सामान्य मानकों में चीजों को नए तरीके से स्वीकार करने के लिए तैयार रहना चाहिए।