लखनऊ। प्रदेश सरकार भले ही करप्शन के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने की बात कर भ्रष्टाचार को खत्म करने की कोशिशे करती हों, लेकिन फिर भी कुछ जगहों पर करप्शन के करंट की सप्लाई लगातार जारी है। बता दें महोबा जिले के विद्युत विभाग में एक कर्मचारी ने करोड़ों रुपये के सरकारी राजस्व की हेराफेरी कर विभागीय अधिकारियों को मुश्किल में डाल दिया। मामला संज्ञान में आने के बाद विद्युत विभाग में हडकंप मच हुआ है। आनन-फानन में उच्चाधिकारियों ने अधीक्षण अभियंता के नेतृत्व में चार सदस्यीय जांच कमेटी का गठन कर मामले की जल्द जांच रिपोर्ट सौंपने और आरोपी कर्मचारी के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं, लेकिन स्थानीय अधिकारियों ने आरोपी कर्मचारी के खिलाफ दो माह बाद भी कार्रवाई न करना अपने आप में सवाल खड़े कर रहा है।

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बता दें विद्युत विभाग में टीजी-2 के पद पर तैनात कर्मचारी श्याम नारायण पर 17 करोड़ 57 लाख रुपये के सरकारी राजस्व का घोटाला करने के आरोप लगा हैं। लेकिन मामला सामने आने पर भी विद्युत विभाग की हवाइयां उड़ी हुई हैं। जांच टीम ने आरोपी कर्मचारी को दोषी पाया। दोषी पाए जाने पर विद्युत विभाग के उच्चाधिकारियों ने अधीक्षण अभियंता महेन्द्र कुमार के नेतृत्व में उच्चस्तरीय जांच कमेटी का गठन कर जल्द से जल्द जांच की रिपोर्ट सौंपने और स्थानीय अधिकारियों को पत्र भेज आरोपी कर्मचारी के खिलाफ कठोर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। हालांकि पत्र आने को लगभग एक माह पूरा होने को है, लेकिन अधिकारियों ने आरोपी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की है। अधीक्षण अभियंता विद्युत वितरण मण्डल महोबा महेन्द्र कुमार ने बताया कि अधिशाषी अभियंता को आरोपी श्याम नारायण के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए थे। लेकिन, पहले से ही एक मामले में श्याम नारायण पर एफआईआर और सस्पेंड चल रहा था। दूसरे मामले में टीम गठित कर जांच की जा रही है।https://gknewslive.com

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