धर्म कर्म: निजधामवासी बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, परम पिता परमात्मा के साक्षात अवतार, इस वक़्त के गुरु, जीते जी प्रभु से मिलाने का रास्ता नामदान देने वाले एकमात्र प्रकट सन्त, जिनके शरीर में प्रभु की ताकत भरी है, जो अंतर साधना में दया करके शब्द को सुनाते हैं, ऐसे इस समय के युगपुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, परम दयालु, त्रिकालदर्शी, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने गुजरात में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि आज तक अगर किसी को कुछ मिला तो भक्ति के द्वारा ही मिला। गुरु के आदेश की पालन को गुरु भक्ति कहते हैं। भक्ति जब पूरी हो जाती है, उनकी आत्मा ऊपर जब पहुंचती है और प्रभु के रूप में जो गुरु रहते हैं तो आदेश मिलता है कि अब तुम जीवों का काम करो तो जीवों का काम करने लगते हैं। शांति का रास्ता यहां तो दिलाते ही हैं और हमेशा के लिए शांति हो जाए, रोना-धोना खत्म हो जाए, हमेशा उजाला ही रहे ऐसे उजाले में पहुंचा जाओ, उसका रास्ता बताते हैं और यह काम करते हैं।
जब तक शरीर रहता है तब तक काम करते हैं। जब शरीर कमजोर हो जाता है या (निज धाम) जाने की मौज हो जाती है तो वह जो काम करते हैं, दूसरे को बता कर देकर जाते हैं। जिसको समझते हैं कि यह कर ले जाएगा, जिसको सिखा-बता देते हैं, लोगों को उसके बारे में बता कर के जाते हैं कि यह काम अब यह करेंगे, यह देखेंगे। तो वह ( उत्तराधिकारी) उस काम को बढ़ाते हैं। मुख्य बात समझो, वो नाम दान देते हैं। जिनको गुरु नाम दान दे करके जाते हैं वो जो जीव भजन ध्यान नहीं कर पाते हैं, जिनका काम पूरा नहीं हो पाता है, जिनकी आत्मा, परमात्मा तक नहीं पहुंच पाती है उनकी संभाल की भी जिम्मेदारी उनको (अपने जानशीं को) देकर जाते हैं। ये हमेशा रहा है। सब धार्मिक किताबों में ये मिलता है।
नाम दान देना और महात्मा गिरी बहुत कठिन काम है
बाबा उमाकान्त जी ने 4 जनवरी 2023 दोपहर थाने मुंबई में बताया कि नाम दान देना कोई आसान काम नहीं, बहुत कठिन काम है। यह महात्मा गिरी बहुत कठिन है। शुरू में (मैं) इस चीज को नहीं समझता था। कहते हैं- ओखली में जब सिर पड़ जाए तो कितने मूसल पड़ेंगे, कोई भरोसा नहीं। खटाखट खटाखट पड़ता चला जाता है। कोई गिनता है कि कितना पड़ा? लेकिन गुरु के आदेश का पालन ही गुरु भक्ति कहलाती है। गुरु का आदेश चाहे रैन में हो, चाहे बैन में हो, चाहे सैन में हो, पालन करना चाहिए। जब गुरु महाराज शरीर छोड़कर चले गए फिर आदेश मिला कि अब नाम दान देना शुरू कर दो (तो कर दिया)।