लाइफस्टाइल: दुनिया में टेक्नोलॉजी का भूत इस कदर चल गया है कि लोग अपने छोटे से छोटे काम को टेक्नोलॉजी के सहारे करते हैं और बिना उसके जीवन व्यतीत करना इस दौर में कठिन सा हो गया। अगर मोबाइल फोन की बात की जाए तो लोग बिना फोन के 1 सेकंड नहीं रह पाते हैं। ऐसे में जब बच्चे रोते हैं या किसी चीज के लिए जिद करते हैं तो अक्सर मां-बाप पीछा छुड़ाने के लिए बच्चे को मोबाइल या कोई और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट जमा देते हैं। यह आजकल काफी आम हो गया है इससे बच्चा शांत हो तो जाता है, लेकिन इससे उसे कई घंटों तक स्क्रीन के सामने बिताने की लत लग जाती है।

मोबाइल न देने पर आत्महत्या तक कर चुके
दुनिया भर में हुई तमाम रिसर्च बताती है कि कम उम्र में बच्चों को फोन थामाने से उनका मानसिक विकास प्रभावित होता है। इतना ही नहीं एक रिपोर्ट के मुताबिक मोबाइल गैजेट और ज्यादा टीवी देखने कि लत बच्चों का भविष्य खराब कर रही है इससे उनमें वर्चुअल ऑटिज्म का खतरा बढ़ जाता है। बच्चों के लिए यह इतना खतरनाक है कि जिले में ऐसे मामले भी देखे गए हैं जिसमें बच्चों ने फोन न मिलने पर आत्महत्या तक कर ली है।

जानिए वर्चुअल ओटिज्म में
वर्चुअल ओटिज्म के लक्षण आमतौर पर 4 से 5 साल तक की उम्र के बच्चों में देखते हैं। ऐसा अक्सर उनके मोबाइल फोन टीवी और कंप्यूटर जैसे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट कि लत के कारण होता है। स्मार्टफोन का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग लैपटॉप और टीवी पर ज्यादा समय बिताने से बच्चों को बोलने में दिक्कत और समाज में दूसरे लोगों के साथ बातचीत करने में परेशानी महसूस होने लगती है।

खाने तब खाऊंगा जब आप फोन दोगे
टेक्नोलॉजी के इस दौर में में बच्चे हो या बड़े सभी फोन की लत से प्रभावित है। छोटे मासूम बच्चे भले ही फोन ना चलाएं लेकिन उनका रोना चुप कराने के लिए उनके परिवार वाले फोन पकड़वा देते हैं। फोन खिलौने की तौर पर बच्चे का मनोरंजन करता है जिससे देखते-देखते बच्चा उसका आदी हो जाता है।

जानिए कितनेबच्चे कर रहे मोबाइल का इस्तमाल
एक सर्वे के मुताबिक पाया गया कि भारत में 10 से 14 वर्ष के 83% बच्चे स्मार्टफोन इस्तेमाल कर रहे हैं। 15 साल से ज्यादा उम्र के 88% बच्चे स्मार्टफोन इस्तेमाल कर रहे हैं. जबकि इंटरनेशनल औसत की बात करें तो वो 76% है।

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