धर्म-कर्म : निजधामवासी बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, जीवों को अपने निज घर सतलोक जयगुरुदेव धाम चलने का रास्ता नामदान देने वाले, अपने अपनाए हुए जीवों को ताकत शक्ति देने वाले, अपनी कमाई से लुटाने वाले, जिनमें बाबा जयगुरुदेव जी महाराज स्वयं समाये हुए हैं और अब जिनके माध्यम से ही अब सबकी संभाल कर रहे हैं, ऐसे वक़्त के पूरे समरथ सन्त सतगुरु, परम दयालु, त्रिकालदर्शी, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकांत जी ने बताया कि सतपुरुष, वह हमारे-आपके पिता, सबके सिरजनहार, समय-समय पर इस धरती पर सतगुरु के रूप में आते रहे हैं और जीवों को जगाते रहे हैं। हमारे गुरु महाराज बाबा जयगुरुदेव जी में पूरी ताकत उस सतपुरुष की भरी हुई थी। पूरी ताकत लेकर यह इस धरती पर उतारे गए थे। पैदा हुए थे तब तो मां के पेट से यह भी बाहर निकले थे लेकिन फिर इन्होंने अपनी आत्मा को जगाया। कैसे नाम से जोड़ा? कैसे सोई हुई आत्मा को जगाया जाता है? आप बहुत से लोगों को तरीका मालूम भी है। गुरु महाराज ने भी बताया आत्मा को जगाने का तरीका। उनके जाने के बाद भी वो तरीका बताया गया और जो नये लोग सतसंग में आये हो, उनको भी बता दिया जाएगा।
एक बार तो सन्त लुटाते ही हैं अपनी कमाई से:-
बाबा उमाकांत जी ने बताया कि नाम के लिए उन्होंने (बाबा जयगुरुदेव जी ने मुझे) आदेश दे दिया कि सबको दो, खूब बांटो। जैसा उनके गुरु महाराज ने उनको कहा था कि तुम यह दौलत बांटना देना शुरू कर दो। यह जो तुम्हारी पूंजी है, इस पूंजी को तुम खर्च करो, लुटाओ। एक बार तो सन्त लुटाते ही हैं अपनी कमाई में से। एक बार तो देते ही देते हैं। किसी न किसी रूप में फायदा जीव को होना चाहिए तभी तो जीव जुड़ता है। वह तो अपनी कमाई में से देते ही हैं। लेकिन कब तक देंगे? कुछ अपने को भी अर्जित करना पड़ता है। तो कहा कि दो और इनको बताओ, यह भी नाम की कमाई करें और अंतर की दौलत को यह भी प्राप्त करें, खुद मेहनत करें।