धर्म-कर्म : महाराज जी ने बताया कि ग्रहण नक्षत्र, लोग कहते हैं, इनको राहु केतु लग गया, इनको यह लग गया, वह लग गया। असर तो इनका थोड़ा बहुत होता है लेकिन असर को मिटाने के भी तरीके होते हैं। जैसे दिन के लिए कहा गया, सोम शनीचर पूरब न चालू। सोमवार और शनिवार को पूर्व दिशा की यात्रा अच्छी नहीं होती है। मंगल और बुध को उत्तर नहीं जाना चाहिए। शुक्र पश्चिम न करें पयाना। बृहस्पति दक्षिण जो करे पयाना और फिर न समझो घर वापस आना। तो यह जो दिशाओं में जो प्रस्थान होता था, यह कुछ न कुछ असर डालता था।
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जैसे सूरज की चमक, गर्मी, यह तिथियों का असर लोगों पर असर डालता था। ठंडी के महीने में गर्म चीज खानी चाहिए। जिनके पास पैसे हैं हल्दी, गरम मसाला, बादाम, काजू खाना चाहिए। गर्मी में तरबूज, खरबूजा। शरीर ठंडी-गर्मी बर्दाश्त कर लेगा और उसका असर कट जायेगा। केला ताकत लाता, खून को बढ़ाता है लेकिन देर में हजम होता है, कब्ज करता है तो इलायाची खा लो तो कब्जियत का असर बहुत कम हो जायेगा। अरबी की सब्जी में अजवाइन डालने से चिकनाहट कम होती, हींग डालने से उड़द की दाल की गरिष्ठता कम, उसके साथ दही, छाछ का प्रयोग करते हैं। अब भी जानकार बताते हैं कि दूध के साथ दही, खट्टी चीज मत खाना। कटहल का खोया खा कर पान कभी मत खाना नहीं तो पेट फूल जायेगा। जाना ही है तो रविवार को पान खाकर जाने से शरीर के विपरीत माहौल, हवा-पानी का, वातावरण का असर नहीं होगा। पान तो ऐसे भी फायदा करता है।
फिर रोग दूर करने, ताकत बढ़ाने के लिए उसमें चूना लगाने लग गए। खाली चूने का पान खाया जाए तो कैल्शियम की कमी दूर होगी, हड्डियां मजबूत होंगी, पाचन शक्ति तेज होगी। सुपारी का काम पेट में पड़ी चीज को हजम करना। लेकिन जब से तम्बाकू डालने लग गए तो पान नुकसानदेह, जहरीला हो गया। पूजा में रखने वाले ताम्बुल को धीरे-धीरे चूसने से उसके तत्व अंदर जाकर फायदा करेंगे। सीधा खाने पर पाचन प्रक्रिया में चला जायेगा तब फायदा कम मिलेगा। मंगल को जाना हो तो थोड़ा गुड़ खा लो। बुध को धनिया, गुरूवार को कुछ दाना जीरा मुंह में डाल लो, शुक्र को दही खाकर जाना, शनिवार को अदरक खाकर जाना फायदा करता है।