धर्म-कर्म : अंदर की असली-सच्ची अध्यात्मिक साधना बताने वाले, काल भगवान के जालों से निकालने वाले, इस समय के युगपुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकांत जी महाराज ने बताया कि, जब लोग साधना करके शिव की जगह पर, हृदय चक्र पर पहुंचते हैं तब अहंकार खत्म होता है। अहंकार ही संहार करता है, विनाश का कारण बन जाता है। इसलिए मानव समाज के कल्याण के लिए इसका
खत्म होना जरुरी है।

मन, चित, बुद्धि, अंहकार की डोर किसके हाथ में है:-

महाराज जी ने बताया कि, नर्क और स्वर्ग दोनों में जाने की व्यवस्था बनाई गई हैं। जैसे दुख और सुख, स्वर्ग और नर्क, धरती और आसमान बना दिया। ऐसे ही पाप और पुण्य बनाया। मन चित बुद्धि बना दिया और रजोगुण, तमोगुण, सतोगुण बना दिया। अब इनकी डोर, इन्ही चारों के हाथ में हैं। मन की डोर त्रिदेव की माता, आद्या महाशक्ति जिनको महामाया, काल माया कहा गया, इनके हाथ में है। चित की डोर ब्रह्मा के हाथ में, बुद्धि की डोर विष्णु के हाथ में, अंहकार की डोर शिव के हाथ में है और यही इसे चलाते हैं।

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