हिन्दू धर्म में चंदन का टीका लगाना शुभ माना जाता है. बता दें कि स्कन्द पुराण में इसका एक जिक्र मिलता है कि श्री कृष्ण ने गोपियों की भक्ति से खुश होकर ‘ गोपी सरोवर’ बनवाया था. इसका मुख्य कारण था कि गोपियों के स्नान के लिए एक सुरक्षित स्थान देना था. सरोवर में स्नान से न सिर्फ गोपियों का सौंदर्य बड़ा बल्कि श्री कृष्णा का अपार स्नेह भी मिला.

ऐसा माना जाता है कि इसी के प्रेरित होकर वैष्णव संप्रदाय को मानने वाले श्रद्धालु माथे पर चंदन का टीका लगाने लगे. वहीं भागवत पुराण के 42वें अध्याय में ये कहा गया है कि श्रीकृष्ण के शरीर का ऊपरी भाग पर चंदन का लेप लगा रहता है.

वामन पुराण के मुताबिक भगवान शिव को प्रसंन्न करने के लिए चंदन उनकी पूजा सामग्री का अनिवार्य हिस्सा है. पुराण में कहा गया है कि देवी लक्ष्मी चंदन की सुगंधित लकड़ी पर निवास करती हैं.

टेंशन मिटाए, गहरी नींद लाए…

एक रिसर्च में पाया गया कि चंदन अपने चिकित्सीय लाभों के साथ डिप्रेशन, टेंशन और अनिद्रा को दूर भगाने में कारगर है. बियॉन्ड ब्यूटी एंड फ्रेगरेंस’ के अनुसार, चंदन के तेल में कैंसर से बचाने वाले गुण होते हैं. चंदन के पेड़ से निकाले गए यौगिक अल्फा-सेंटालोल में कैंसर रोधी और कीमो-निवारक गुण सामने आए हैं.

चंदन के फायदे….

एंटीइन्फ्लेमेटरी गुणः चंदन के एंटीइन्फ्लेमेटरी गुण सूजन और सिरदर्द जैसी समस्याओं में राहत देता है.

एंटीऑक्सीडेंटः चंदन के एंटीऑक्सीडेंट गुण शरीर की सेल को मुक्त कणों से दूर रखता है और ऑक्सीकरण से होने वाले नुकसान से बचाव करता है. चंदन का एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव डीपीपीएच नाम के रेडिकल पर पाया गया है.

एंटीसेप्टिकः चंदन में एंटीसेप्टिक गुण होते हैं, जो चोट को ठीक करने में कारगर होते हैं. जख्म ज्यादा पुराना या गहरा है, तो डॉक्टरी सलाह जरूरी है.

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चंदन के प्रकार…..

भारतीय चंदनः आपको बता दें कि चन्दन चार प्रकार का होता है. जिसमे भारतीय चंदन, लाल चंदन, श्वेत चंदन और मलयागिरी चंदन. कहा जाता है कि भारतीय चंदन का पेड़ 20 फीट की ऊंचाई तक बढ़ता है और इसमें कई प्रकार के औषधीय गुण होते हैं. इसका तेल बहुत महंगा होता है. यह एक दशक से अधिक समय तक जीवट रहता है.

लाल चंदनः यह दक्षिणी भारत के पूर्वी घाटों में पाया जाता है. इसकी लाल रंग की लकड़ी में खुशबू नहीं होती है. लाल चंदन में एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं.

श्वेत चंदनः श्वेत चंदन और पीत चंदन एक ही पेड़ से निकलते हैं.श्वेत चंदन के पेड़ से एसेंशियल ऑयल, साबुन, परफ्यूम व कॉस्मेटिक्स प्रोडक्ट्स बनाए जाते हैं.

मलयागिरी चंदनः यह पेड़ 20-30 फीट ऊंचा होता है. यह मैसूर, कूर्ग, हैदराबाद, नीलगिरि और दक्षिण भारत के पश्चिमी घाटों में पाया जाता है. मलयगिरि चंदन या श्रीखंड चंदन को सबसे मीठा और असली माना जाता है.

 

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