धर्म-कर्म: वक़्त के पूरे संत, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने बताया कि, जब अंग्रेज हिंदुस्तान में राज्य कर रहे थे, हट नहीं रहे थे, आजादी की लड़ाई शुरू हुई। उस वक्त सुभाष जापान गए थे। वहां पर लोगों को इकट्ठा करके आवाज लगाईं, मदद मांगी कि लोगों ने पूछा क्या मदद चाहिए ? उन्होंने कहा हमको एक नौजवान चाहिए जो अपनी जान की कुर्बानी दे दे। एक लड़का खड़ा हुआ, कहा अपने देश के लिए सब कुर्बान होते हैं, रखवाली करते हैं, सीमा पर जान दे देते हैं। चल मैं तेरे भारत देश के काम आऊंगा। सुभाष ने पूछा तेरे घर में और कौन-कौन है? बोला केवल एक बूढ़ी मां। बोले तेरी मां ही तेरे इस अच्छे काम में बाधा बनेगी। तुझको वह नहीं देगी। दिल दुखा कर हम तुझे ले जाना नहीं चाहते हैं। देखो सहज मिले सो दूध सम, मांगे मिले सो पानी, कहे कबीर वा रक्त सम जामें खिंचा तान कहते हैं- सहज में मिली चीज दूध के समान, मांगने से मिले तो पानी और खींचातानी जोर जबरदस्ती से तकलीफ लेकर अगर ले लो तो वही चीज खून की तरह हो जाती है। तो कहा हम तुझे ऐसे नहीं ले जाएंगे। तब वह मां के पास गया और बोला कि मां तू अगर न होती तो मैं भारत देश के काम आ गया होता। तो मां ने कहा, जा उठा ले तलवार, काट देती हूं अपने सिर को, ले जाकर के सुभाष के सामने रख देना और कह देना अब मेरी मां नहीं रही, चल मैं तेरे भारत देश के काम आ जाऊंगा। उसने तो नहीं काटा लेकिन मां ने खुद काट दिया।
जापान के नौजवान लड़के ने भारत के लिए दी कुर्बानी:-
जब बालक ने सुभाष के अपनी माँ का सिरे रखा तब सुभाष ने कहा अब तू मेरे देश के काम आ जाएगा, तेरा इतिहास बनेगा। उसके शरीर में बम बांधकर के और ऐसे जहाज की चिमनी में डाला था जिसमें बहुत सारे असलहा हिंदुस्तान में आ रहे थे। अगर वह आ गए होते तो जन्म-जन्मांतर के लिए यह देश परतंत्र हो जाता, कभी आजाद नहीं हो सकता था। जब जहाज डूबा तब अंग्रेजों का कलेजा फटा और फिर वह हिंदुस्तान छोड़ करके चले गए। परिस्थितियां ऐसी बनी कि छोड़कर वह स्वतः ही चले गए।
नौजवानों! जापान के लड़के के ऋणी हो आप:-
बाबा जी ने कहा कि, क्या आप उसके इतिहास को भूल सकते हो? कभी नहीं भूल सकते। आप ऋणी हो, कर्जदार हो उस नौजवान के जो जापान का नौजवान आपके देश के काम आया था। तो आप ऐसे खाने-पीने और मौज-मस्ती में और ऐसे लड़कियों के कुमारत्व को खत्म करने में अगर समय निकालोगे तो आपका कोई नाम नहीं रह जाएगा। इसलिए इस वक्त पर जरूरत है कि नौजवानों निकलो, एक तो सबसे पहली चीज यह है कि चरित्र आपका सही होना चाहिए। अगर करैक्टर नहीं है, चरित्र नहीं है आपका तो आप कुछ नहीं कर सकते हो। इसलिए चरित्रवान बनो। चरित्रवान बन करके ऐसे रास्ते पर चलो कि आपके पीछे-पीछे चलने वाले बहुत लोग हो जाए। आप पथ प्रदर्शक बन जाओ। इस समय पर लोगों की जान खतरे में है। आप अगर चाहो तो लोगों को बचा सकते हो।
अन्य सारी क्रांतियों से ज्यादा पॉवर वैचारिक क्रांति में है:-
भारत का इतिहास बताता है कि जब-जब अत्याचार अन्याय बढ़ा, लोग बैठे नहीं रहे, उन्होंने आवाज उठाई। अंग्रेजों का अत्याचार अन्याय बढ़ने पर भगत सिंह, चंद्रशेखर, अशफाक उल्ला खां, सुभाष जैसे वीर बैठे नहीं रहे। शांति का पाठ पढ़ाने के लिए महात्मा गांधी निकले। गुरु महाराज वैचारिक क्रांति यानी विचारों में परिवर्तन लाने पर विश्वास करते थे। अन्य सारी क्रांतियों से ज्यादा पॉवर वैचारिक क्रांति में है। आजकल चल रहे प्रचार अभियान में वैचारिक क्रांति लानी यानी विचारों में परिवर्तन लाना है। हाथ जोड़कर विनय हमारी, तजो नशा बनो शाकाहारी। छोड़ो व्यभिचार बनो ब्रह्मचारी, सतयुग लाने की करो तैयारी। ऐसा सन्देश लोगों में बदलाव लायेगा क्योंकि आने वाला समय, मांसाहारी, शराबी, जुआरी, व्यभिचारी, खूनी, कतली और हिंसक प्रवृत्ति वाले लोगों को सताने लूटपाट ठगने वाले लोगों को कबूल नहीं करेगा। यह मनुष्य शरीर, मानव मंदिर भगवान की प्राप्ति के लिए मिला है। एक बार जाने के बाद यह दुबारा जल्दी मिलने वाला नहीं है। तो बेचारे फंस जाएंगे, अकाल मृत्यु में, प्रेत योनि में जाएंगे, जहां बहुत भटकना पड़ता है, बड़ी मार पड़ती है, बहुत तकलीफ होती है तो उनको तो बचाना है। कहना होगा जयगुरुदेव जयगुरुदेव जयगुरुदेव जय जयगुरुदेव