धर्म कर्म: अपने अपनाए जीवों को भवसागर पार करके ही दम लेने वाले, बुराइयों से सावधान करने वाले, इस समय के महापुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि आदेश के पालन को भक्ति कहते हैं। जो आदेश का पालन करता है, वही प्यारा होता है। कोई भी मिशन लेकर आते हैं, कभी भी महापुरुष आये, उनके साथ जो रहता है, उसका नाम (ख्याति) क्यों होता है? क्योंकि वह आदेश का पालन करता है, उनके मिशन में, उनके काम में मदद करता है।
तीन लोक नौ खंड में गुरु से बड़ा न कोय
और कर्ता करे न कर सके, गुरु करे सो होय। कहते हैं कर्ता कुछ नहीं करता है, गुरु करते हैं। गुरु जब जीवों को अपना लेते हैं तब छोड़ते नहीं है। जब आध्यात्मिक गुरु मिल जाते हैं, तब चाहे चार जन्म लगे लेकिन पार किया ही करते हैं। प्रथम जन्म गुरु भक्ति कर, दूसरे जन्म में नाम, तीसरी जन्म में मुक्ति पद, चौथे में निजधाम। चाहे चार जन्म लग जाएँ, जीव को (भवसागर से) पार करते हैं, छोड़ते नहीं है।
ज्यादा लोभ लालच पतन का कारण होता है
ज्यादा लोभ लालच में मत पडो नहीं तो लोग लोभ लालच दे देते हैं और पैसा लेकर चले जाते हैं, वापस नहीं होता है। नौकरी लगवा देंगे, प्रमोशन करवा देंगे, बच्चे का एडमिशन करवा देंगे, एक का चार गुना करा देंगे, यह जमीन, प्लाट, मकान खरीद लो, सब हो जाएगा और हो नहीं पाता है। मीठी-मीठी बात बोलकर के रुपया ले लेते हैं, घर में घुस जाते हैं, बहन बहू बेटियों को गलत नजर से देखते हैं। देखने में पक्के सतसंगी बन जाते हैं, पक्का काम उनका लगता है, भाव भक्ति इतनी झलकती है, उनका उपदेश इतना अच्छा लगता है की मालूम पड़ता है यह तो भगवान सुना रहे हैं लेकिन जब धोखा हो जाता है तब पछताते हैं। तो पछताने का समय क्यों रहे? क्यों आवे? इसलिए होशियार, सजग रहो। सीधे-साधे लोगों को सब लोग समझो परेशान करते हैं। सीधे रहो, लेकिन जब जरूरत पड़े, देख लो कि इनकी जरूरत नहीं है, तो कह दो, भैया आप चले जाओ और दरवाजे पर बैठो, घर में न घुसो, बहन बहू बेटी के बीच में न जाओ और पानी पी लो, गृहस्थ का जो धर्म होता है रोटी-पानी खिला-पिला दो और वहीं से विदा कर दो। इतना तो करना पड़ेगा। यह सब बात इसलिए बता रहा हूं कि आए थे हरि भजन के लिए, ओटन लगे कपास। आप तो शांति सुख का रास्ता लेने, भजन भाव भक्ति करने के लिए आए हो और यह तकलीफ आपके सामने आ जाए तो उसी में आपका मन लगा रहे, उसी की फिक्र आपको रहे, तो ऐसा काम न करना।
मन काबू में कब आता है?
मन को रोक ले जाओगे तो सुनाई और दिखाई भी पड़ेगा। प्रैक्टिस, आदत डालनी पड़ेगी। नहीं तो यह मन जल्दी रुकेगा नहीं। बड़े-बड़े पंडित जोर लगाया, नहीं भूत मन वश में आया, लाख करो तदवीर प्यारे गुरु बिना। जब गुरु की दया होती है, गुरु भक्ति आती है, गुरु के आदेश का पालन लगातार किया जाता है तब समझो यह मन बस में, काबू में आता है। नहीं तो यह गेंद की तरह से उछलता रहता है। तो मन जब रुक जाएगा तब आपको अंतर में कुछ मिलेगा, अंतर में दिखाई पड़ेगा। लेकिन अगर बता दोगे तो वह चीज चली जाएगी, खत्म हो जाएगी। इसलिए बताना मत किसी को।