धर्म कर्म: बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के तीन दिवसीय जीव जीवन रक्षक भंडारा कार्यक्रम में पूज्य सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज जी ने अपने सन्देश में बताया कि कुछ जो संगतों के जिम्मेदार हैं, वह परमार्थी काम कर रहे हैं। अपने लिए तो सब करते हैं, लेकिन जो दूसरों के लिए जो करता है, वही परमार्थी होता है। परमार्थ, परोपकार का लाभ जरूर मिलता है। प्रभु के जीवों के लिए जो काम करते हैं, उनको जरूर लाभ मिलता है। संगत का कार्य करने वाले कार्यकर्ताओं से आप पूछ लो, (उनके) कोई चीज की कमी नहीं है। धन-दौलत, पुत्र-परिवार में भी बढ़ोतरी हुई, नहीं तो ऐसे ही लोग पूछने लग जाते हैं कि देखो तुम इस (प्रचार-प्रसार, संगत की सेवा कार्य) में लग गए हो, तुम्हारा काम बिगड़ गया। मान लो आप जो महसूस करते हो कि हमारा काम बिगड़ रहा है, वह आपके कर्मों की वजह से बिगड़ रहा है। आपके कर्म कट नहीं पा रहे हैं। जो आप सेवा कर रहे हो, आपके कर्म उससे ज्यादा भारी हो रहे हैं, इसलिए उससे वह कट नहीं रहे हैं। आप अगर ज्यादा सेवा करने लग जाओ तो आपके सारे कर्म कट जाएंगे तब आपको दुनिया की चीजों की कोई दिक्कत नहीं रह जाएगी।

परमार्थी काम करने वालों को संतुष्टि है

जो प्रेमी सेवा में लगे हुए हैं, देखने में भले ही वह साइकिल, स्कूटर, ट्रेन, बस से चलते हैं लेकिन उनको संतुष्टि है। यह जो 2 करोड रुपए की गाड़ी रोड़ पर निकलती है, इसको देखकर के उनके मन में लालच नहीं पैदा होता है। आप देखते हो तो आपके मन में लालच पैदा हो जाता है कि काश हमारे पास भी हो जाता। आदमी-औरत का यह स्वभाव होता है। तंदुरुस्त आदमी को, किसी के पति को देख ले, यह माया काल का देश है, हम साफ बात करते हैं, बच्चियां सोचती हैं कि काश यह पति अधिकारी मेरे पास होते। ऐसे ही औरत को देखकर आदमी सोचता है कि काश यह औरत मेरे पास होती, यह अधिकारी सेठानी मेरे पास होती। जो सबको एक समान, मां-बहन की तरह से, दूसरे का धन को जहर के समान समझते हैं, वह भक्त होते हैं, कार्यकर्ता होते हैं, सब जगह होते हैं। सन्तमत में ज्यादा हुए हैं। गुरु महाराज के समय में रहे, इस समय पर भी हमारा सहयोग कर रहे हैं, गुरु महाराज के आदेश के पालन कराने में मदद कर रहे हैं। यह लोग परमार्थी काम करते हैं। प्रसाद लेकर के यहां से जाते हैं और गांव-गांव पहुंचाते हैं, जगह-जगह पर पूजन करते हैं, गुरु का सबको प्रसाद देते हैं।

गुरु महाराज का प्रसाद ऐसा तीर है जो कभी चूकेगा ही नहीं

कार्यकर्ताओं और जिम्मेदारों से मैं कहना चाहता हूं कि आप एक अभियान चला दो। यहां से जाने के बाद जगह-जगह पूजन का कार्यक्रम आयोजित करो। यहां से जो प्रसाद ले जाओ, जिसके यहां जो भी मीठी चीज मिलता हो, उसी में मिला दो। नहीं कुछ हो तो पानी में ही मिला कर बाँट दो। यह गुरु महाराज का प्रसाद अपना असर जताएगा। खाली नहीं जाएगा। यह ऐसा तीर है कि कभी चूकेगा ही नहीं। शिकार करेगा ही करेगा। किसका? बुराइयों को खत्म करने का, अच्छाई लाने का, यह प्रसाद शिकार करेगा। लोगों को अच्छा बनाएगा, लोगों का दिल, दिमाग, भावना बदलेगा। आप इसका अभियान चलाओ।

उस समय एक हनुमान थे, इस समय तो लाखों हनुमान कार्यकर्ता हैं

आप एक महीना चला दो, अपनी-अपनी जगह पर समय-परिस्थिति के अनुसार। क्योंकि बरसात आ जाएगी। बारिश में जहां जैसा संभव हो वैसा, उसकी गोष्टी मीटिंग कर लो। लोगों को शाकाहारी नशामुक्त, अच्छा बनाने, रामराज्य सतयुग लाने का जो गुरु का मिशन है, इसको कैसे आगे बढ़ाया जाए, कैसे लोगों का यही संकल्प बनवा लिया जाए कि यहां से जाने के बाद पूरे 24 घंटा गृहस्थी के ही काम में न लग करके, रोज घंटा-दो घंटा इस काम में लगें। गुरु की दया लेकर जाएंगे, जब वहां सेवा करेंगे, इनको सफलता मिलेगी, जैसे हनुमान उछलते कूदते थे, ऐसे उछलेंगे, कूदेंगे। उस समय तो एक हनुमान थे, इस समय तो लाखों हनुमान कार्यकर्ता हैं। इसलिए प्रेमियो! जितना जल्दी आप मेहनत कर ले जाओगे, उतना ही जल्दी अच्छा समय, सतयुग आ जाएगा।

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