Lucknow: राजधानी लखनऊ के दुबग्गा स्थित एक निजी अस्पताल में हुई मासूम की मौत के बाद परिजनों ने जमकर हंगामा किया। मामले की सूचना मिलते ही मौके पर पहुंची पुलिस ने कार्रवाई और जांच का आश्वासन देकर मामला शांत करवाया।

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मिली जानकारी के मुताबिक, काकोरी के लालता खेड़ा गांव निवासी सूरज गौतम ने अपनी 9 माह की बेटी नेहा के इलाज के लिए पांच दिन पहले दुबग्गा के एकैव अस्पताल में भर्ती कराया था। परिजनों ने अस्पताल प्रशासन और डॉक्टरों पर आरोप लगाते हुए बताया कि, उन्होंने बेटी को पहले दिन से ही वेंटिलेटर पर रखा और पांच दिन इलाज किया। इसके बाद भी जब कोई फायदा नहीं हुआ तो हमने उसे दूसरे अस्पताल ले जाने की बात कही। जिसपर अस्पताल प्रशासन ने 37 हजार का बिल थमा दिया और नेहा को जिंदा बताते हुए दूसरी जगह ले जाने की सलाह दी।

पहले ही हो चुकी थी बेटी की मौत:-
परिजनों ने पुलिस को बताया कि, बिल भरने के बाद उसे सिविल अस्पताल ले जाया गया। जहां डॉक्टरों ने बताया कि, उसकी पहले ही मौत हो चुकी थी। परिजनों का आरोप है कि, पैसे बनाने के लिए बेटी को पांच दिनों तक डॉक्टरों ने वेंटिलेटर पर रखा जबकि उसकी पहले ही मौत हो चुकी थी।

बेटी के इलाज के लिए बेच दी बाइक:-
डिप्टी सीएमओ डॉक्टर एपी सिंह ने बताया कि मामला संज्ञान में आया है। मामले की जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी। नेहा के सिर में ब्लड जम गया था उसे झटके आ रहे थे। अस्पताल के इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर किशन के अनुसार नेहा का इलाज डॉ. पवन गुप्ता की देखरेख में हुआ था। वहीँ, नेहा के पिता सूरज ने बताया कि, अपनी बेटी के इलाज के लिए उन्होंने अपनी बाइक बेच दी लेकिन फिर भी उसे बचा नहीं पाए। बेटी की मौत से परिवार में कोहराम मचा हुआ है।

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