धर्म-कर्म: आत्मा के धनी, इस धरती पर मनुष्य शरीर में डोलते, वक़्त के पूरे समर्थ सतगुरु प्रथम पुरुष, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने गुरु पूर्णिमा के कार्यक्रम में बताया कि, वक़्त के सतगुरु इस काल के अखाड़े के पहलवान, उस्ताद होते हैं, कभी नहीं हारते हैं। सबसे पावरफुल पर्सन शक्तिशाली किसको कहते हैं? जो आत्मधनी होता है, आत्मा का धनी जो इस धरती पर मनुष्य शरीर में चलता-फिरता रहता है वो। प्रथम पुरुष वोही होता है। तो कबीर साहब प्रथम पुरुष थे जिन्होंने सन्तमत की जड़ को जमाया, सन्तमत के रास्ते को खोला। और सबसे शक्तिशाली पावरफुल हमारे गुरु महाराज, अभी आप इनको नहीं समझ पाए, क्या थे और क्या हैं? इसी चीज को तो आपको (अगले) तीन दिन के सतसंग में समझना है।

गुरु पूर्णिमा का मतलब क्या होता है: 

ये नहीं कि आओ प्रसाद खाओ, सैर-सपाटा करो, दो-चार बातें स्वस्थ रहने कि, टेंशन परेशानियों को हटाने की, आदि को सुनो, सीखो और वापस चले जाओ, इसका मतलब यह नहीं होता है। इसका मतलब यह होता है कि गुरु होते कौन है? गुरु आए किस काम के लिए? गुरु से हमको क्या मिल सकता है? क्या मिला? इसको जानने और सीखने की जरूरत है।

पलटू नाहक भूंकता, साध देखकर श्वान, जगत भगत सो बैर है, चारों जुग प्रमाण: 

भक्तों और दुनियादारों का हमेशा विरोध रहा है। क्योंकि भक्त यहां कि और कुछ उधर की बात भी करते हैं। गुरु की महिमा, गरिमा के बारे में बताते हैं, जो प्रभु का दर्शन अंतर में करते हैं उनके बारे में, उनके लोक के बारे में, वहां की चीजों के बारे में बताते हैं तो दुनिया वाले उसका विरोध करने लगते हैं। तो लोग विरोध करने लगते हैं कि ये सब तो मैंने प्रवचन, कथा, भागवत, महाभारत, वेद आदि में कहीं सुना ही नहीं। सन्तों पर लोगों ने बहुत जुल्म किए। कबीर साहब, गोस्वामी जी महाराज का बड़ा विरोध, पल्टू को जिंदा जला दिया, तबरेज की खाल खींच ली, मीरा जब उपर का वर्णन करती थी तब उसे जहर पिला दिया गया। और जब समझ गए तब विरोध ख़त्म हो गया।

इस दरबार से कोई खाली हाथ नहीं जायेगा: 

ये गुरु महाराज बाबा जयगुरुदेव जी का दरबार है। यहां से कोई खाली हाथ नहीं जायेगा लेकिन उनकी दया लेने के लिए आप पात्र तो बनो। आप को जो बताया जाए, उसे विश्वास के साथ करो, तब तो आपको फायदा हो। खाली बार-बार कहने, रटने से नहीं, करने से होगा।

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