धर्म कर्म: कुल मालिक जिनके रूप में अभी धरती पर आये हुए हैं, इस समय मनुष्य शरीर में होने के नाते सामजिक मर्यादा को निभाते हुए अपनी अलौकिक असीमित शक्ति का इजहार पूरी तरह न करते हुए भी काल माया के भ्रम में फंसे अपने अपनाए हुए जीवों की संकट में बार-बार मदद कर उनका विश्वास को दृढ़ से दृढ़तर करने वाले, जिसे देखने वाले चमत्कारों की संज्ञा देने लगते हैं, ऐसे इस पूरी सृष्टि को चलाने वाले, आकाशवाणी, वेदवाणी, कलमा-आयतें, गैबी आवाज, शब्द, वर्ड सुनने का मार्ग नामदान सबको बताने वाले, इस समय के पूरे समरथ सन्त सतगुरु दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि जब रानी इंदुमती ने सतलोक में पहुँच कर देखा की (तत्कालीन सन्त) कबीर साहब ही पूरी सृष्टि चला रहे हैं तो बोली, आप मुझे मृत्युलोक में बता दिए होते तो मुझे इतनी साधना, इतनी मेहनत न करनी पड़ती। तब बोले कि तुझे विश्वास न होता। क्योंकि काल के देश में काल (जीव में) विश्वास नहीं होने देता है। काल लोगों को भ्रम और भूल में बराबर डाले रहता है। जैसे ही विश्वास जमने लगता है तैसे ही कोई न कोई मनुष्य शरीर में होने के नाते गुरु की कमियाँ नजर आने लग जाती है। इसलिए मैंने तुझको मैंने नाम दान दिया, यहां आने के लिए रास्ता बताया, रास्ते पर चलने के लिए प्रेरणा दिया, बोल पहुंचा दिया कि नहीं? बोली आपकी दया के बिना तो मैं एक कदम भी आगे नहीं बढ़ सकती थी।

शब्द की ताकत

सतयुग में हड्डी में, त्रेता में लहू में, द्वापर में खाल में और इस समय कलयुग में अन्ने प्राण कलयुगे, अन्न में प्राण आ गया। तो ये (प्रभु प्राप्ति के लिए) कुछ नहीं खाते-पीते, सब छोड़ दिया। तो खाने-पीने से ही मांस बढ़ता है, खून रहता है, शरीर में चलता है। तो बिलकुल सूख गए थे कौन? मनु और शतरुपा, तो मृतक जिआवनि गिरा सुहाई। श्रवन रंध्र होइ उर जब आई॥ हृष्ट पुष्ट तन भए सुहाए। मानहुँ अबहिं भवन ते आए।। एकदम से मृतक मरे हुए से थे, कुछ जान नहीं थी, कुछ कर नहीं पाते, बोलने की भी शक्ति नहीं थी लेकिन जब वह आवाज (शब्द) आई, वो (जीवात्मा के कान में) पड़ी, उसकी ताकत जब अंदर में आई, यही शब्द जो 24 घंटे हो रहा है, जिसको सुनने का तरीका (नाम दान) आज आपको बताऊंगा, वह जब उनको सुनाई पड़ा तो हष्ट-पुष्ट तन भय सुहाये, एकदम से तंदुरुस्त होने लग गए और मालूम पड़ा जैसे भवन से आए है, जैसे मां के पेट से पैदा हुए बच्चे की मांस खाल मिली हुई, सुंदर सुडौल होती है, ऐसे ही जो (उनकी) ये चमडीया सिकुड़ कर हड्डी में चिपक गई थी वो सब फिर फूल करके, मांस जब बढ़ा, तो मालूम पड़ा अभी इनका जन्म हुआ है। तो यही शब्द उनको सुनाई पड़ा था। और वही शब्द आपको भी सुनाई पड़ेगा। लेकिन इन बाहरी कानों से नहीं, क्योंकि उसमें इतनी तेज आवाज है कि इस कान का पर्दा फट जाएगा, आप बर्दास्त नहीं कर पाओगे। तो उसे उसी जीवात्मा के कान से ही सुना जाता है जो अंदर में है।

परहेज करने पर ही नाम का फायदा हो पाएगा

गुरु महाराज ने बताया कि इसे पाने के लिए आपको कुछ परहेज करना पड़ेगा तभी इस नाम का फायदा हो पाएगा, तभी यह नाम अंदर में सुनाई पड़ेगा, तभी इस नाम के असर से अंदर में ज्योति प्रकाश आपको मिल पाएगा, तभी आप इस दुनिया संसार में रहते हुए इस शरीर से ऊपर की तरफ निकल पाओगे, आपका दिन भर में 10 बार मरना और 10 बार जीना तभी हो पाएगा। तो परहेज क्या है? परहेज यही है कि गंदी चीज (मांसाहार और बुद्धिनाशक नशा) जो मनुष्य के लिए नहीं बनाई गई, उसका सेवन आप मत करो। शाकाहारी नशामुक्त सदाचारी रहो।

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