धर्म: वैदिक पंचांग के अनुसार, 09 अगस्त यानी शुक्रवार को नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाएगा। इस त्योहार को पूरा देश हर साल मनाता है, ये त्योहार सावन के माह में मनाया जाता है। इस दिन नाग देवता की भक्ति भाव से पूजा अर्चना की जाती है। साथ ही पूजा के समय नाग देवता को दूध अर्पित किया जाता है। इस अवसर पर देवों के देव महादेव की भी पूजा-उपासना की जाती है। साथ ही उनका जला अभिषेक भी किया जाता है। अगर आप भी नाग देवता की पूजा उपासना करते है तो इस पूजा के समय ये व्रत कथा जरूर पढ़ें।
नाग पंचमी की कथा
शास्त्रों के अनुसार, द्वापर युग में राजा परीक्षित एक बार आखेट के लिए दल-बल के साथ वन गये थे। शिकार के दौरान राजा परीक्षित को प्यास लगी। उस समय राजा परीक्षित पानी की तलाश में इधर-उधर भटकने लगे। भटकते-भटकते राजा परीक्षित एक ऋषि के आश्रम पर जा पहुंचे। इस आश्रम में ऋषि शमीक रहते थे। राजा परीक्षित ने कई बार ऋषि शमीक को पानी देने का आग्रह किया। हालांकि, ध्यान मग्न ऋषि शमीक ने राजा परीक्षित को जल प्रदान नहीं किया। उस समय राजा परीक्षित ने बाण पर मृत सांप रख ऋषि शमीक पर चला दिया। सांप ऋषि शमीक के गले में जा लपटा। राजा परीक्षित वहां से लौट गये।
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ऋषि शमीक ध्यान में मग्न रहे। संध्याकाल में ऋषि शमीक के पुत्र ने देखा कि उनके पिता के गले में मृत सांप लपेटा हुआ है। तब ऋषि शमीक के पुत्र ने राजा परीक्षित को सर्पदंश से मृत्यु का श्राप दे दिया। कालांतर में श्राप देने के सातवें दिन ही राजा परीक्षित की सर्पदंश से मृत्यु हो गई। यह बात जब उनके पुत्र जनमेजय को पता चली तो तो जनमेजय ने विशाल नागदाह यज्ञ कराया। इस यज्ञ के चलते सांपों का नाश होने लगा। तब ऋषि आस्तिक मुनि ने सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर नाग को दूध अर्पित कर जीवनदान दिया। साथ ही जनमेजय के नागदाह यज्ञ को भी रुकवाया। इस दिन से ही नाग पंचमी पर्व मनाने की शुरुआत हुई ।
अस्वीकरण: ”इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए दिए गए हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें।